स्वास्थ्य

हर साल क्यों मनाया जाता है विश्व ऑटिज्म दिवस? जानें इतिहास और लक्षण

दुनियाभर में हर साल 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्धेश्य लोगों को इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के बारे में जागरुक करना है। जिससे पीड़ित व्यक्ति की लाइफ को बेहतर बनाने में मदद मिल सके और वह भी समाज में बेहतर जीवन बिता सके। बता दें, साल 2021 में Indian Journal of Pediatrics में पब्लिश हुई एक स्टडी बताती है, कि देश में हर 68 बच्चों में से एक बच्चा ऑटिज्म से ग्रसित है, जिनमें लड़कियों के मुकाबले लड़कों की संख्या तीन गुना ज्यादा है। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर क्या है ऑटिज्म रोग और कैसे हुई विश्व ऑटिज्म दिवस को मनाने की शुरूआत।

क्या है ऑटिज्म रोग? ऑटिज्म एक ऐसी न्यूरोलॉजिकल स्थिति है,जो बचपन में शुरू होती है। जिसमें व्यक्ति के वर्बल या नॉन वर्बल कम्युनिकेशन, इमेजिनेशन और सोशल इंटरेक्शन पर बुरा असर पड़ता है। जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को बातें समझने में कठिनाई होती है, मन ही मन बड़बड़ाते हैं, शब्दों को समझ नहीं पाते हैं, आंखें मिलाकर बात नहीं कर पाते हैं, उठने-बैठने, खाने-पीने का बर्ताव भी औरों से अलग होता है।

ऑटिज्म के लक्षण- -बच्चों का देरी से बोलना शुरू करना। -एक ही शब्द को बार-बार रिपीट करना। -किसी के बोलने या कुछ कहने पर जवाब नहीं देना। -बच्चे का ज्यादा समय अकेले ही बिताना। -किसी से आंखें मिलाकर बात न करना। -एक ही चीज को बार-बार करना। -किसी भी एक काम या सामान के साथ पूरी तरह बिजी रहना। -सामने वाले व्यक्ति की भावना न समझना।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस का इतिहास- संयुक्त राष्ट्र द्वारा ऑटिस्टिक लोगों को सुविधाजनक जीवन देने के लिए 1 नवंबर 2007 को एक प्रस्ताव पारित किया गया था। संस्थान का कहना था कि ऑटिस्टिक लोगों को समाज से जोड़ने के लिए सबसे पहले इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करना जरूरी है। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस प्रस्ताव को 18 दिसंबर 2007 को स्वीकार कर लिया। जिसके बाद हर साल से 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है।

विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2024 की थीम- इस साल विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2024 की थीम रखी गई है, ‘एम्पावरिंग ऑटिस्टिक वॉयस’ है। जिसका उद्देश्य इस स्थिति वाले व्यक्तियों को अधिक समर्थन और शक्ति प्रदान करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे एक सार्थक जीवन जीने के साथ एक सफल करियर भी बना सकें। इस स्थिति वाले लोगों का समर्थन करने और उन्हें स्वीकार करने के संकल्प को पुनर्जीवित करने के लिए हर साल एक नई थीम तय की जाती है।

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