छत्तीसगढ़ में कृषि आधारित स्टार्टअप्स हेतु असीम संभावनाएं – ढांड
रायपुर। राज्य नवाचार आयोग के अध्यक्ष श्री विवेक ढांड ने आज यहां इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं रफ्तार एग्री बिजनेस इन्क्यूबेशन योजना के अंतर्गत संचालित कृषि उद्यमिता विकास कार्यक्रम के तहत स्थापित नवीन स्टार्टअप्स उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि आधारित व्यवसायों में स्टार्टअप्स स्थापित करने की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि कृषि का क्षेत्र काफी वृहद होने के कारण इस पर आधारित अनेक स्टार्टअप्स शुरू किये जा सकते हैं। श्री ढांड ने आई.जी.के.वी.-राबी कार्यक्रम के तहत स्थापित विभिन्न स्टार्टअप्स उद्यमियों के साथ चर्चा कर उनके द्वारा किये जा रहे कार्यां तथा उपलब्धियों की जानकारी प्राप्त की। उन्होंने स्टार्टअप्स और नवाचार के क्षेत्र में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे कार्यां की सराहना की तथा कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल एवं स्टार्टअप्स कार्यक्रम के जुड़े सभी अधिकारियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। श्री ढांड ने इस अवसर पर कहा कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्टार्टअप्स प्रारंभ करने हेतु राज्य नवाचार आयोग द्वारा हर संभव सहयोग किया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न र्स्टाटअप्स द्वारा तैयार किये जा रहे उत्पादों का भी अवलोकन किया।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि कृषि आधारित स्टार्टअप काफी अच्छा कार्य कर रहे हैं और उनसे बहुत से लोगों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि हर स्टार्टअप की अपनी एक सफलता की कहानी है जो और लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए ताकि अन्य लोग भी कृषि आधारित स्टार्टअप की स्थापना के लिए आकर्षित हो सकें। डॉ. चंदेल ने कहा कि इन स्टार्टअप के माध्यम से कृषि आधारित 900 से अधिक उत्पाद निर्मित किये जा रहे हैं जिनसे लाखों किसानों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से लाभ प्राप्त हो रहा है उन्होंने कृषि छात्रों से आव्हान किया कि वे कृषि आधारित स्टार्टअप्स स्थापित करने के लिए आगे आएं। आई.जी.के.वी. राबी कार्यक्रम के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. हुलास पाठक ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत विगत चार वर्षां में 236 स्टार्टअप्स प्रवेशित हुए हैं, जिनमें से 101 स्टार्टअप्स को भारत सरकार की ओर से 10.84 करोड़ का आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है। इनमें से 60 स्टार्टअप्स को अभिनव कार्यक्रम के तहत 5 लाख तक का अनुदान मिला है, जबकि 41 स्टार्टअप्स को उद्भव कार्यक्रम के तहत 25 लाख रूपये तक का अनुदान प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि इन स्टार्टअप्स के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 50 करोड़ रूपये की भागीदारी की जा रही है।
नवाचार आयोग के अध्यक्ष श्री विवेक ढ़ांड़ ने इस अवसर पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न अनुसंधान कार्यक्रमों एवं गतिविधियों का अवलोकन किया। उन्होंने उच्च मूल्य फसलों की गुणवत्तायुक्त संरक्षित खेती के तहत उगाई जा रही विभिन्न फसलों का अवलोकन किया। उन्होंने वहां कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित स्पीड ब्रीडिंग कार्यक्रम का भी जायजा लिया। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने बताया कि स्पीड ब्रीडिंग कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न फसलों की नवीनी प्रजातियां विकसित करने में लगने वाली समयावधि को 10 से 12 वर्ष की बजाय 4 से 5 वर्ष तक कम किया जा सकेगा। श्री ढांड ने टीश्यू कल्चर लैब में टीश्यू कल्चर तकनीक के माध्यम से निर्मित केला, गन्ना, अदर आदि पौधों का भी अवलोकन किया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत स्थापित किये जा रहे बायो इन्क्यूबेशन सेन्टर का भी अवलोकन किया। श्री ढांड ने आर.एच. रिछारिया लैब के अंतर्गत स्थापित अक्ती संग्रहालय में संकलित धान की 24 हजार से अधिक किस्मों का भी अवलोकन किया। उन्होंने वहां फसलों के निर्यात के आवश्यक खाद्य गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशाला का भी जायजा लिया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित धान से प्रोटीन पावडर, शुगर शिरप तथा बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक निर्माण की तकनीक के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। श्री ढांड ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे अनुसंधान कार्यां की प्रसंसा की। इस अवसर पर राज्य नवाचार आयोग के सदस्य सचिव डॉ. आर.के. सिंह, सदस्य डॉ. ऋतु वर्मा सहित विश्वविद्यालय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।