हमर छत्तीसगढ़

आखिरकार सत्य की हुई जीत : जीपी सिंह पर दर्ज हुए सभी एफआईआर निरस्त

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के सीनियर अधिकारी आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह पर तत्कालीन सरकार में हुए एफआईआर पर हाईकोर्ट ने निरस्त करते हुए सभी प्रोसिडिंग पर रोक लगा दी है। आय से अधिक संपत्ति, राजद्रोह और ब्लैकमेलिंग भयादोहन के मामले में फंसे जीपी सिंह को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविद्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीनों एफआईआर को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें परेशान करने की नियत से झूठे तथ्यहीन मामलों में फंसाया गया, उन पर दर्ज किसी भी एफआईआर में कोई ठोस सबूत नही पाया गया। इसकी जानकारी देते हुए जीपी सिंह के अधिवक्ता ने हिमांशु पांडेय ने बताया यह सत्य की जीत है।
जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई में चंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल वर्चुअल उपस्थित हुए। जीपी सिंह के अधिवक्ताओं ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में बताया कि जिस व्यक्ति से गोल्ड सीज हुआ है उस व्यक्ति को एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया है, जबकि उक्त गोल्ड को जीपी सिंह का बता उन्हें आरोपी बना दिया गया। जिस स्कूटी से गोल्ड की जब्ती बनाई गईं है वे भी जीपी सिंह और उनके परिजनों के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है। सुपेला में दर्ज एक्सटॉर्शन के मामले में बताया गया कि यह सालों बाद बदले की कार्रवाही के तहत दर्ज करवाई गई है। कई सालों बाद मामला दर्ज होना समझ से परे है। राजद्रोह के मामले में अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि जिन कटे फटे कागज के जीपी सिंह के ठिकाने से मिलने के आधार पर उन्हें राजद्रोह का आरोपी बनाया गया है उन कागजों से कोई भी षड्यंत्र परिलक्षित नहीं होता।
एंटी करस्प्शन ब्यूरो द्वारा अदालत में पेश किए गए जवाब में भी स्पष्ट है कि उक्त कागज के टुकड़ों की रेडियोग्राफी में कोई भी स्पष्टता नहीं है। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने जीपी सिंह के खिलाफ दर्ज तीनों मामलों को रद्द कर दिया याचिकाकर्ता की ओर से चंडीगढ़ के सीनियर काउंसिल रमेश गर्ग वर्चुंअल उपस्थित हुए। आज न्यायालय के फैसले से यह सिद्ध हो गया है देश मे कानून और न्याय जिंदा है और सत्य की जीत हुई है।

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