बीजेपी के तोखन साहू जीते, कांग्रेस के देवेंद्र यादव हारे
बिलासपुर. बिलासपुर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की एक महत्वपूर्ण सीट है. यह सीट बीजेपी के गढ़ के रूप में जानी जाती है. बिलासपुर लोकसभा सीट का तीन बार परिसीमन हुआ है. शुरुआत में यह सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित थी. इसके बाद इसमें बदलाव करते हुए इसे अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित कर दिया गया. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पूर्व विधायक तोखन साहू और कांग्रेस ने भिलाई के विधायक देवेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है. साल 2009 में इसे एक बार फिर सामान्य कर दिया गया. साल 1996 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है. साल 1996 से 2004 के बीच 4 बार हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के पुन्नूलाल मोहले यहां से सांसद रहे. मोहले के नाम लगातार चुनाव जीतने का कीर्तिमान भी रहा है. उनके बाद बीजेपी के दिग्गज नेता दिलीप सिंह जूदेव चुनाव लड़े. साल 2009 में जूदेव सांसद निर्वाचित हुए. कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को प्रत्याशी बनाया था.
बीजेपी के तोखन साहू को अबतक मिले इतने वोटः 653176
कांग्रेस के देवेंद्र यादव को मिले इतने वोटः 500461
वोटों का अंतरः 152715
साल 2014 के चुनाव में बिलासपुर सीट राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में फिर सफल हुई. पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला को कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार बनाया था. सर्वाधिक वोटों के अंतर से चुनाव हारने का कीर्तिमान करुणा के नाम रहा. 1 लाख 75 हजार वोटों के अंतर से वे बीजेपी के एक सामान्य कार्यकर्ता लखनलाल साहू से चुनाव हार गईं. तब पूरे देश के साथ ही बिलासपुर लोकसभा सीट में भी पीएम नरेंद्र मोदी की लहर का जोर दिखाई दिया था. यही वजह है 2019 में सांसद लखन साहू का टिकट काटकर संघ के करीब मने जाने वाले अरुण साव को सांसद प्रत्यासी बनाया गया. अरुण साव ने रिकॉर्ड 141763 मतों से अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी अटल श्रीवास्तव को हराया. यहां ओबीसी वर्ग की बहुलता है. इसमें साहू और कुर्मी की जनसंख्या सबसे ज्यादा है. ओबीसी में यादव भी प्रभावी भूमिका में हैं. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में 2 जिला बिलासपुर और मुंगेली को शामिल किया गया है.
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जितने भी लोकसभा चुनाव हुए, उनमें बीजेपी ने मुंगेली जिले से ही अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा है. 2009 में दिलीप सिंह जूदेव को छोड़कर साल 1991 के बाद हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी मुंगेली जिले से ही तय किया, जिसमें 7 बार भाजपा चुनाव में जीत दर्ज कर चुकी है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं. बिलासपुर जिले में 6 विधानसभा सीट बिलासपुर, बिल्हा, बेलतरा, मस्तूरी,कोटा और तखतपुर तो वहीं मुंगेली जिले की 2 सीट मुंगेली और लोरमी विधानसभा सीट शामिल है. विधानसभा चुनाव में 8 में से 6 पर बीजेपी तो वहीं कोटा और मस्तूरी विधानसभा में कांग्रेस ने जीत हासिंल की है.
हाईप्राफाइल का बिलासपुर सीट
छत्तीसगढ़ में हाईप्रोफाइल सीट बिलासपुर का चुनावी इतिहास भी बेहद दिलचस्प है. कांग्रेस-बीजेपी प्रमुख पार्टियों में 7 बार कांग्रेस तो 7 बार भाजपा चुनाव जीत चुकी है. केवल एक बार निर्दलीय प्रत्याशी तो एक बार लोकदल के प्रत्याशी को जीत मिली थी. 4 बार लोकसभा चुनाव जीत कर मुंगेली जिले के भाजपा नेता पुन्नूलाल मोहले ने पार्टी की जमीन तैयार किया. उनके पहले कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े, भाजपा के लखनलाल साहू और अरुण साव मुंगेली जिले के रहने वाले और चुनाव जीतने वाले सांसद बने. इस बार भी भाजपा ने मुंगेली जिले के साहू समाज के नेता और पूर्व विधायक तोखन साहू का नाम तय किया है.
जातिगत समीकरण के आधार पर वोटों की संख्या
बिलासपुर लोकसभा में कुल मतदाताओं की संख्या – 20 लाख 94 हजार 570
पुरुष मतदाता – 10 लाख 52 हजार 173
महिला मतदाता – 10 लाख 42 हजार 298
तृतीय लिंग (ट्रांसजेंडर) मतदाता – 99