भारत

वह मारते रहे, हम सहते रहे; पीएम ने कहा- मुजाहिद लहू चख गए थे, 75 साल चला सिलसिला

गांधीनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर पाकिस्तान को कड़े लहजे में चेतावनी दी है कि उसकी ओर से चलाए जा रहे ‘युद्ध’ का जवाब उसी की भाषा में दिया जाएगा। पीएम मोदी ने कहा कि भारत तरक्की और पड़ोसियों की भी खुशहाली चाहता है, लेकिन बदले में खून की नदियां बहाई जाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 75 सालों तक पड़ोसी मुल्क भारत में हमले करता रहा। उन्होंने इशारों में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर भी निशाना साधा।

गांधीनगर में एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, ‘शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों ना हो, लेकिन एक कांटा चुभता है तो पूरा शरीर परेशान रहता है। हमने तय कर लिया है उस कांटे को निकालकर रहेंगे। 1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थीं जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े करके। उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर पहुआ था। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया।’

पीएम ने आगे कहा कि उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ था। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता… और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है तब तक सेना रुकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात नहीं मानी गई और ये मुजाहिद जो लहू चख गए थे, वह सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था।

क्या यह सहना चाहिए क्या, गोली का जवाब गोले से देना चाहिए: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वह भारत से जीत नहीं सकते। इसलिए उसने प्रॉक्सी वॉर शुरू किया। सैन्य प्रशिक्षण होता है, सैन्य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष निहत्थे लोग, कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई पर्यटक बनके जा रहा है। जहां मौका मिला वे मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए क्या अब यह सहना चाहिए। क्या गोली का जवाब गोले से और ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए। कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूरे विश्व को परिवार मानते हैं। हम पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख से जिएं और हमें भी जीने दें। यह हमार हजारों साल से चिंतन रहा है। पीएम ने कहा, ‘यह प्रॉक्सीवार नहीं है, आप युद्ध ही लड़ रहे हैं। इसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे। प्रगति की राह पर लगे थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में साथ देते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती है।’

पीएम ने कहा, ‘1969 में जो सिंधु जल समझौता हुआ है उसकी बारीकी में जाएंगे तो चौंक जाएंगे। उसमें यहां तक तय हुआ है कि जो जम्मू कश्मीर की अन्य नदियों पर डैम बने हैं उनकी सफाई का काम नहीं किया जाएगा। 60 साल तक ये गेट नहीं खोले गए, जिसमें 100 फीसदी पानी भरना चाहिए था उसकी क्षमता कम हो गई, 2-3 फीसदी रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर हक नहीं है क्या। अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि इसे स्थगित रखा है। वहां पसीना छूट रहा है। अभी हमने डैम थोड़े खोलकर सफाई शुरू की है। कूड़ा-कचरा निकाल रहे हैं इतने से वहां बाढ़ आ जाती है। हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं, हम सुख चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। इसलिए हम एक निष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतवासी के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं।’

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