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वक्फ बोर्ड में नहीं होगी कोई नियुक्ति, संपत्तियों में बदलाव पर भी रोक; SC से केंद्र को 7 दिनों का समय

नई दिल्ली. वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं को गुरुवार को बड़ी राहत मिली है। अगले एक हफ्ते तक वक्फ बोर्ड में किसी की नियुक्ति नहीं होगी और वक्फ बाय यूजर की संपत्ति को भी डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने कोर्ट को यह भरोसा दिया है। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से स्टे नहीं लगाने की मांग करते हुए जवाब देने के लिए हफ्तेभर का समय मांगा, जिसे अदालत ने दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर दूसरे दिन की सुनवाई दोपहर दो बजे शुरू हुई। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पांच दिन के भीतर केंद्र के जवाब पर जवाब दाखिल कर सकते हैं, जिसके बाद मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। सरकार की ओर से एसजी तुषार मेहता ने कहा, ”मैं सम्मानपूर्वक आग्रह कर रहा हूं, सवाल प्रासंगिक हैं लेकिन कठिनाई यह है कि मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि ऐसे मुद्दे नहीं हैं जिन पर मिलॉर्ड कुछ प्रावधानों को प्रथम दृष्टया पढ़ने पर विचार करें, मिलॉर्ड को इतिहास पर विचार करना होगा। हम सरकार के रूप में लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। गांवों और गांवों को वक्फ के रूप में लिया जाता है। यह कानून का एक सुविचारित हिस्सा है। स्वीकृति से पहले याचिकाएं दायर की गई थीं।”

लाइव लॉ के अनुसार, एसजी ने स्टे नहीं लगाने के लिए कहते हुए कहा कि ऐसा करके आप एक कठोर कदम उठाएंगे। मुझे हफ्तेभर का समय दें, ताकि जवाब दायर किया जा सके और दिखाया जा सके कि यह सब कैसे हुआ। इस पर सीजेआई ने कहा कि हमारे पास एक विशेष स्थिति थी, जिसमें कमजोरियां थीं। हमने कहा, कुछ सकारात्मक चीजें भी हैं। हम नहीं चाहते कि स्थिति बदले…इस्लाम के 5 साल के अभ्यास जैसे प्रावधान हैं, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं। एक और नियम है, आम तौर पर, आज की स्थिति जारी रहनी चाहिए ताकि पक्षों के अधिकारों को नुकसान न पहुंचे।

सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि केंद्र 7 दिनों के भीतर जवाब देना चाहता है। हम अदालत को आश्वस्त करते हैं कि धारा 9 और 14 के तहत परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। सुनवाई की अगली तारीख तक वक्फ जिसमें पहले से रजिस्टर्ड या नोटिफिकेशन के जरिए से घोषित वक्फ बाय यूजर शामिल है, को न तो डिनोटिफाई किया जाएगा और न ही उसमें कलेक्टर कोई बदलाव कर सकेगा। कोर्ट ने एसजी के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए अंतरिम आदेश जारी कर दिया।

इससे पहले, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र से पूछा कि क्या मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि वक्फ बाय यूजर को कैसे अस्वीकृत किया जा सकता है, क्योंकि कई लोगों के पास ऐसे वक्फों को पंजीकृत कराने के लिए अपेक्षित दस्तावेज नहीं होंगे।

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