आज रात नहीं सोएगा समूचा पाकिस्तान…26 साल पहले 3 मई को भारत ने किया था जवाबी हमला, अब लेगा पहलगाम की 26 मौतों का बदला?

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए हैं। वहीं, आम लोग पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहे हैं। पहलगाम की बर्बरता के 11 दिन बाद भारत आज पाकिस्तान पर हमला कर सकता है! क्योंकि 26 साल पहले इसी दिन एक और युद्ध की शुरुआत हुई थी।
26 साल पहले यानी 3 मई 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐसा युद्ध शुरू हुआ, जिसने दोनों देशों के इतिहास में गहरी छाप छोड़ी। यह था कारगिल युद्ध, जो जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास लड़ा गया था। इस युद्ध को भारत में ऑपरेशन विजय के नाम से जाना जाता है। यह युद्ध भारत की सैन्य शक्ति, एकता और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की जीत का भी प्रतीक है।
कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद 1947 में बंटवारे के समय से ही चल रहा है। दोनों देश कश्मीर पर अपना दावा करते हैं और 1947-48, 1965 और 1971 में युद्ध लड़ चुके हैं। 1972 में शिमला समझौते के बाद, दोनों देशों के बीच कश्मीर में नियंत्रण रेखा को अस्थायी सीमा के रूप में मान्यता दी गई थी। इसके बावजूद, सीमा पर तनाव और छोटी-मोटी झड़पें आम थीं।
1998 में, भारत और पाकिस्तान दोनों ने परमाणु परीक्षण किए, जिससे दक्षिण एशिया में तनाव और बढ़ गया। फरवरी 1999 में, दोनों देशों ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें शांति और बातचीत के ज़रिए कश्मीर मुद्दे को सुलझाने का आह्वान किया गया। लेकिन समझौते के कुछ ही महीनों बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पार करके कारगिल में घुसपैठ शुरू कर दी।
कारगिल युद्ध की शुरुआत की ज़मीन साल 1998 और 1999 की सर्दियों में तैयार हुई थी। हर साल सर्दियों में कारगिल की ऊंची चोटियों पर बर्फबारी और मुश्किल मौसम के कारण दोनों देशों की सेनाएं अपनी चौकियां खाली कर देती थीं। पाकिस्तानी सेना ने इस मौके का फ़ायदा उठाया। फ़रवरी 1999 में पाकिस्तान की नॉर्दर्न लाइट इन्फ़ेंट्री और स्पेशल सर्विस ग्रुप के सैनिकों ने कथित तौर पर कश्मीरी आतंकवादियों का भेष धारण करके नियंत्रण रेखा पार की और भारतीय क्षेत्र में 132 महत्वपूर्ण चोटियों और चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया।
3 मई 1999 को स्थानीय चरवाहों ने भारतीय सेना को इन घुसपैठियों की मौजूदगी की सूचना दी। शुरुआत में उन्हें कश्मीरी आतंकवादी समझा गया, लेकिन जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह पाकिस्तानी सेना की एक सुनियोजित सैन्य कार्रवाई थी, जिसे ऑपरेशन बद्र नाम दिया गया था। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी एक्शन लिया।