400 पार का नारा हुआ फेल : डबल इंजन की सरकार कहीं पास तो कहीं फेल
- मोदी और शाह के घमंड में भारी चोट :: लोकसभा चुनाव 2024 के रुझान/परिणाम ने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के घमंड पर गहरा चोट किया। ये दुकड़ी अपने सामने किसी को कुछ नहीं समझते थे साथ ही इनका बॉडी लैंग्वेज भी सहज नहीं दिखा।
- 400 पार का नारा :: अबकी बार 400 पार का नारा भी ओवर कॉन्फिडेंस को दर्शाता है और यही ओवर कॉन्फिडेंस बीजेपी/एनडीए को 300 पार भी नहीं होने दिया। हर कोई वीरेंद्र सहवाग नहीं हो सकता कि अकेले ट्रिप्पल सेंचुरी मार दे। प्रथम चरण के मतदान प्रतिशत के बाद से भाजपा के नेताओं के चुनावी भाषण से 400 पार के नारे कम होते गए और तीसरे चरण के मतदान पश्चात गायब हो गए।
- असल मुद्दा गायब :: भाजपा/एनडीए गठबंधन ने लोकसभा चुनाव प्रचार में असल मुद्दों – महंगाई, बेरोजगारी व आदि गायब थे जबकि इन्होंने भगवान राम के मंदिर, जातिवाद, आरक्षण आदि पर फोकस किये।
इसके ठीक विपरीत कांग्रेस/इंडिया गठबंधन ने जहां मोदी-शाह के बयानों पर तीखा प्रहार किया वहीं इन्होंने जनता के मुद्दों को लेकर जनता के बीच गए और सबसे बड़ी बात संविधान बदलने वाली बात को लोगों तक पहुंचाया व समझाया। - उत्तरप्रदेश में लगा झटका :: इस चुनाव में बीजेपी/एनडीए को उत्तरप्रदेश में लगा बहुत बड़ा झटका। साईकल पर सवार होकर अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने बुलडोजर बाबा को रोक दिया। इस राज्य में बीजेपी को ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी और इस हेतु कड़ी मेहनत भी की लेकिन साईकल ने रेस में बाजी मार ली।
- बंगाल में ममता ने दागे एक के बाद एक गोल :: बीजेपी/एनडीए को बंगाल में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद थी। 2019 में बीजेपी/एनडीए को बंगाल में 19 सीटें मिली थी जबकि 2024 में 9 से 10 सीटें मिलने का अनुमान है। बंगाल में ममता के टीएमसी ने एक के बाद एक गोल दाग दिए और खेला कर दिए।
- स्मृति ईरानी का बड़बोलापन और अहंकार हुआ चूर :: 2014 लोकसभा चुनाव के पहले महंगाई को लेकर स्मृति ईरानी खूब चिल्लाई; सिलेंडर, गोभी भाजी के साथ प्रदर्शन की और खूब महंगाई के खिलाफ नारे लगाई… 2014 के बाद महंगाई आसमान छूने लग गया और घर घर का बजट बिगड़ गया। उस वक़्त स्मृति ने बढ़ती हुई महंगाई, बेरोजगारी पर चुप्पी साध ली थी। 2019 लोकसभा में मोदी लहर के कारण अमेठी से स्मृति ने राहुल गांधी को हराकर मंत्रिमंडल में जगह बनाई। पर 2024 में कांग्रेस के प्रत्याशी ने स्मृति को पीछे ढकेल दिया।
- पलटू मार नीतीश :: बिहार में एनडीए गठबंधन इंडिया गठबंधन से बहुत आगे है। एनडीए 31 सीट में आगे है और इंडिया गठबंधन 9 सीटों पर आगे है। यदि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनते दिखती है तो पलटू मार कभी भी पलटी मार सकते हैं। पलटू मार को सत्ता से मतलब है। बिहार में वे जितनी बार सत्ता में आये उतनी बार पलटी मार कर आये।
- पंजाब में भाजपा का नहीं खुला खाता :: पंजाब में कांग्रेस और आप पार्टी ने बीजेपी/एनडीए गठबंधन को खाता खोलने नहीं दिया। पंजाब में कांग्रेस को मिला 7 सीट और आप को मिला 3 सीट।
- हरियाणा में घटी बीजेपी/एनडीए की सीट :: हरियाणा में हुआ रोचक मुकाबला व उलटफेर। हरियाणा में इंडिया को मिला 5 और बीजेपी को 4 व अन्य को 1. यहाँ भी बीजेपी को लगा झटका।
- झारखंड और तेलंगाना में टक्कर :: झारखंड में ईडी की एंट्री के बाद हेमंत सोरेन जेल चले गए, उसके बाद भी इंडिया को 5 और एनडीए को 9 सीटें मिल रहीं हैं तो वहीं तेलंगाना में बीजेपी और कांग्रेस को 8-8 सीटे मिल रही है और अन्य को एक। इससे ये दर्शाता है कि डबल इंजन की सरकार कहीं पास तो कहीं फेल।
- केरल में बीजेपी की स्थिति हुई नाजुक :: केरल में बीजेपी की स्थिति बहुत ही नाजुक दिख रही है। बीजेपी को केरल में केवल 2 ही सीटें मिल रही है तो वहीं यूडीएफ को 16 और एलडीएफ को 2 सीटें मिलती हुई दिख रही है। यहां भी मोदी-शाह की जोड़ी फेल साबित हो रही है।
- किंगमेकर कौन ? वर्तमान चुनाव नतीजे को देखते हुए पलटू मार नीतीश कुमार और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू बन सकते हैं किंगमेकर। टीडीपी को 16 सीटें मिल सकती है तो वहीं नीतीश की जेडीयू को 14 सीटें मिलती हुई दिख रही है। अब देखना होगा कि कांग्रेस इन दोनों को अपने पक्ष में ला सकती है कि नहीं। साथ ही यदि इंडिया गठबंधन सरकार बनाना चाहती है तो अन्य जो जीत कर आ रहे हैं उन्हें भी अपने पक्ष में करने हेतु खूब जोर मेहनत करने की जरूरत है। हॉर्स ट्रेडिंग होने की संभावनाओं को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता है।
- मजबूत विपक्ष मिलेगा :: सरकार चाहे एनडीए की बने या इंडिया गठबंधन की लेकिन लोकसभा को 2024 में मिलने जा रहा है मजबूत विपक्ष। अब रील्स और मीम्स बनाने की रफ्तार कम हो जाने की पूरी उम्मीद जताई जा रही है।
14. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी शिकस्त – छग में हुए लोकसभा के 11 सीटों की यदि बात करें और मप्र की बात करें तो यहां डबल इंजन की सरकार पास होते दिख रही है। छग में 10 सीटों पर भाजपा आगे तो 1 सीट पर कांग्रेस आगे। कांग्रेस जिस सीट पर आगे है उस सीट से भाजपा की दिग्गज नेत्री सरोज पांडेय कांग्रेस के दिग्गज नेता चरणदास महंत की धर्मपत्नी ज्योत्स्ना महंत से बहुत पीछे चल रही है। वहीं रायपुर लोकसभा से जननायक बृजमोहन अग्रवाल अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के विकास उपाध्याय से लाखों वोटों से आगे चल रहे हैं।
कांग्रेस के दिग्गज भुपेश बघेल राजनांदगांव से, ताम्रध्वज साहू महासमुंद से, कवासी लखमा बस्तर से, देवेंद्र यादव बिलसपुर से बहुत पीछे चल रहे हैं।
आपको बता दें की अभी काउंटिंग सब जगह यानी पूरे भारत मे चल रही है और फाइनल नतीजे देर शाम तक आने की उम्मीद है। जिस तरह कांग्रेस/इंडिया गठबंधन ने अपना टी-20 खेला उससे डबल इंजन चिंतन में पड़ गए है की चूक कहाँ हुई ? इस चुनाव से यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है जनता ने जातिवाद को पूरी तरह नकार दिया है जिस पर डबल इंजन जोर दे रही थी।