हमर छत्तीसगढ़

14 सालों से लगातार घाटे में चल रही पावर वितरण कंपनी, अब लगातार फायदे का करंट दौड़ने लगा

रायपुर. छत्तीसगढ़ राज्य पावर वितरण कंपनी जो 14 सालों से लगातार घाटे में चल रही थी, उसमें अब लगातार फायदे का करंट दौड़ने लगा है। कंपनी ने ताे फायदे की हैट्रिक भी लगाने का काम कर लिया है। इतिहास में पहली बार लगातार तीसरी तिमाही में भी कंपनी ने फायदा कमाकर एक नया ही इतिहास रच दिया है। पिछले सत्र में जुलाई से सितंबर के सत्र की दूसरी तिमाही में कंपनी आठ सौ करोड़ के घाटे में थी, लेकिन इस बार इसी तिमाही में कंपनी को 31 करोड़ का फायदा हुआ है। लगातार तीन तिमाही से कंपनी फायदे में है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।
पिछले सत्र की अंतिम तिमाही के साथ नए सत्र की पहली और दूसरी तिमाही में कंपनी को बड़ा फायदा हुआ है। हमेशा घाटे में रहने वाली कंपनी को इस साल की पहली तिमाही में 138 करोड़ का फायदा हुआ है। इसी तिमाही में पिछले साल 422.14 करोड़ का घाटा हुआ था। इस बार जहां कंपनी इस घाटे की भरपाई करने में सफल हुई, वहीं फायदे में भी पहुंच गई। इसके पहले पिछले सत्र की अंतिम तिमाही में भी 136 करोड़ का फायदा हुआ है। यानी लगातार दो तिमाही को मिलाकर 274 करोड़ का फायदा हुआ है। इसके बाद अब 2023-24 के सत्र की दूसरी तिमाही में भी कंपनी को ज्यादा तो नहीं लेकिन 31 करोड़ का फायदा जरूर हुआ है। यह फायदा देखा जाए तो कुल मिलाकर 829 करोड़ का है, क्योंकि पिछले साल इसी तिमाही में कंपनी 798 करोड़ के घाटे में थी। इस घाटे से उबरने के साथ ही कंपनी ने कमाई भी की है।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद 2009 में छत्तीसगढ़ विद्युत मंडल को भंग करके भाजपा शासनकाल में पांच कंपनियों का गठन किया गया। इन कंपनियों के बनने के बाद जो विद्युत मंडल हमेशा फायदे में रहता था, वह लगातार घाटे में जाने लगा। ऐसा कोई साल नहीं रहा जिसमें कंपनी को फायदा हुआ हो। लेकिन अब 2022-23 की अंतिम तिमाही के साथ 2023-24 की पहली और दूसरी तिमाही ने इतिहास को बदलने का काम किया है। पहली बार कंपनी फायदे में रही है।
कंपनी को फायदे में लाने के लिए पहली बार ऐसा व्यवस्था की गई कि सरप्लस बिजली व्यर्थ न जाए। इसको तत्काल में बेचने की लगातार व्यवस्था की गई। इसी के साथ सेंट्रल सेक्टर से जो बिजली लेने का शेड्यूल रहता है, उसमें एक दिन पहले बताना पड़ता है कि कितनी बिजली लगेगी। अगर इतनी बिजली नहीं लगी तो बिजली वापस करने पर घाटा होता है। ऐसे में ऐसी बिजली को भी बेचने की व्यवस्था की गई। 2023-24 के सत्र में अप्रैल से नवंबर तक 13 सौ करोड़ की बिजली बेची गई है। इस बेची गई बिजली ने कंपनी को फायदे में लाने का अहम रोल निभाया है। इसके अलावा पुराने राजस्व की वसूली में भी कड़ाई करते हुए राजस्व में इजाफा किया गया। इसी के साथ सबसे अहम निचले स्तर पर जो गड़बड़ियां रहीं हैं, उन पर लगाम लगाने का किया गया जिसका बड़ा फायदा हुआ है।

पॉवर कंपनी ने नए सत्र के लिए नियामक आयोग में जो याचिका लगाई थी, उसमें बताया गया था कि नए सत्र में 63 लाख उपभोक्ताओं को बिजली दी जाएगी। बिजली आपूर्ति करने के लिए औसत 3.71 रुपए की दर से 4083 करोड़ यूनिट बिजली की खरीदी की जाएगी। इसकी अनुमानित लागत 15179 करोड़ होगी। पॉवर कंपनी ने जहां अपना खर्च 15581 करोड़ बताया था, वहीं मिलने वाला राजस्व 19334.17 करोड़ बताया था। ऐसे में खर्च काटने के बाद कंपनी को 3763.03 करोड़ का फायदा बताया गया, इसी के साथ कंपनी ने यह बताया था कि 2021-22 के राजस्व की अंतर की राशि 6134.77 करोड़ है। ऐसे में कंपनी को 2371.73 करोड़ का राजस्व कम पड़ेगा। इतना होने के बाद भी कंपनी ने बिजली के टैरिफ में कोई भी बदलाव करने की जरूरत नहीं बताई थी, यही वजह है कि इस साल टैरिफ नहीं बढ़ा है, लेकिन इसके बाद भी लगातार दो तिमाही में कंपनी फायदे में है।

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