सियासी गलियारा

कांग्रेस की विडंबना, टिकट दिए पर नेता नहीं भर रहे पर्चा

नई दिल्ली. पूर्वोत्तर भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश 3 दशक से ज्यादा समय तक कांग्रेस का गढ़ रहा। हालांकि, पार्टी की मौजूदा स्थिति ऐसी ही है कि चुनाव में टिकट देने के बाद भी पार्टी को सभी सीटों पर उम्मीदवार नहीं मिल रहे। पार्टी राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से महज 1 पर ही जीत हासिल कर सकी। वहीं, भारतीय जनता पार्टी 41 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। हार के अलावा कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती कुनबा एकजुट रखने की भी है।

उम्मीदवार ही नहीं
साल 2019 में कांग्रेस को अरुणाचल प्रदेश की चार सीटों पर जीत मिली थी, जो इसबार घटकर 1 पर आ गई है। पूर्वी कामेंग जिले की बामेंग विधानसभा सीट से कुमार वई ने जीत हासिल की है। 2024 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 35 उम्मीदवारों की सूची तैयार की थी, जिसमें से महज 19 ने ही चुनाव लड़ा। खास बात है कि कई उम्मीदवारों ने टिकट के लिए नाम आने के बाद भी नामांकन नहीं भरा था।

नामांकन दाखिल नहीं करने वाले नेताओं की संख्या 10 है। जबकि, 5 ने उम्मीदवारी ही वापस ले ली थी। इसके अलावा कनुबारी से सोम्फा वांग्सा ने नामांकन के दस्तावेजों की स्क्रूटनी के बाद सीट छोड़ दी और भाजपा का दामन थाम लिया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के कहना है कि भाजपा के साथ कथित सांठगांठ के बाद निशाना बनाकर पार्टी के कई सदस्यों को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया जा चुका है।

खास बात है कि इनमें वे 9 उम्मीदवार भी शामिल हैं, जो लिस्ट में थे, लेकिन चुनाव नहीं लड़ा। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अनुशासनात्मक समिति ने सभी को 6 साल के लिए बाहर कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा, ‘इन उम्मीदवारों ने पार्टी को सूचना तक नहीं दी थीकि वे चुनाव नहीं लड़ने वाले हैं। वे आखिरी समय तक कांग्रेस के टिकटों पर लड़े और बाद में पीछे हट गए।’

इधर, अखबार के अनुसार, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व सीएम नाबाम तुकी ‘धनबल’ के इस्तेमाल को जिम्मेदार मानते हैं।

अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट जीतने में सफल रही कांग्रेस ने रविवार को कहा कि उसे जनादेश स्वीकार है। तुकी ने कहा कि पार्टी चुनाव परिणामों से ‘निराश है लेकिन हतोत्साहित नहीं’ है। 

Show More

Related Articles

Back to top button