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दुनिया को मिलकर बताएंगे पाकिस्तान का सच, कई दलों के सांसदों को विदेश भेजेगी सरकार

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच में तनाव तेजी के साथ बढ़ गया था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद चार दिनों तक रॉकेट्स और ड्रोन्स की लड़ाई के बाद दोनों देश फिलहाल सीजफायर पर बने हुए हैं। अब भारत सरकार पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक चेहरे को दुनिया के सामने खुलकर लाने के लिए नए कदम उठाने जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार, पाकिस्तान को बेनकाब करने के लिए मल्टी पार्टी डेलीगेशन को विदेश भेजने की तैयारी कर रही है।

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक विदेशों में भारत की तमाम राजनैतिक पार्टियों के सदस्यों के साथ भेजे जाने वाले इस प्रतिनिधिमंडल का मुख्य उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष पाकिस्तान से निकलने वाले आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट करना है। सूत्रों के मुताबिक सरकार इस मुद्दे को लेकर सभी पार्टियों से बातचीत कर रही है। सरकार का उद्देश्य सीमा पार से आने वाले आतंकवाद पर देश भर की पार्टियों को एक साथ लाने का है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार की तरफ से विदेश जाने वाला यह डेलीगेशन मुख्य तौर पर पांच उद्देश्यों पर अपना एजेंडा सामने रखेगा। पहला उद्देश्य पाकिस्तान की तरफ से आने वाले आतंकवादियों का भारतीय नागरिकों और भारतीय फौज पर हमला करना, जिसकी वजह से ऑपरेशन सिंदूर की आवश्यकता पड़ी। दूसरा उद्देश्य इस बात पर जोर देना कि आतंकवाद के खिलाफ आखिरकार ऑपरेशन सिंदूर जैसी प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता क्यों पड़ी। तीसरा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस बात से अवगत कराना की अगर पाकिस्तान की तरफ से फिर कोई हरकत या आतंकी गतिविधि की जाती है तो भविष्य में भी ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई की जा सकती है।

इसके अलावा चौथा उद्देश्य, दुनिया के सामने इस बात को स्पष्ट तरीके से रखना कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान केवल और केवल आतंकी ठिकानों को ही निशाना बनाया गया था। इसका पाँचवाँ उद्देश्य आतंकवाद को बढ़ाना देने में पाकिस्तान की भूमिका पर दुनिया के सामने प्रकाश डालना शामिल होगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी पार्टियों के सदस्यों को मिलाकर बनाए जाने वाला यह प्रतिनिधिमंडल विदेशी सरकारों, थिंक टैंकों और मीडिया आउटलेट्स के साथ बातचीत करेगा ताकि पाकिस्तान की धरती से लगातार पैदा हो रहे आतंकवाद को लेकर ऑपरेशन सिंदूर की आवश्यकता पर भारत की सोच को प्रदर्शित किया जा सके। प्रतिनिधिमंडल की संरचना कैसी होगी इस पर फिलहाल विचार किया जा रहा है। क्योंकि सरकार सीमा पार से आने वाले आतंकवाद को लेकर सभी दलों के दृष्टिकोण को अपनाना चाहती है।

अगर यह प्रतिनिधिमंडल विदेश जाकर सरकार और भारत के पक्ष की बातें रखता है तो इतिहास में यह पहली बार नहीं होगा कि विपक्षी सांसद देश की बात रखने के लिए सरकार के पक्ष में बात करेंगे। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने तत्कालीन विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक बहुपक्षीय दल को यूएनएचआसी में भेजा था। दरअसल, 1994 में पाकिस्तान ने जिनेवा में भारत के ऊपर कथित मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगा रहा था। उस समय पर अटल बिहारी बाजपेयी ने भारत का पक्ष रखा था।

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