हमर छत्तीसगढ़

बायपास की मांग अब तक अधूरी : शहर के बीचों-बीच दौड़ रहे भारी वाहन

डोंगरगढ़. शहर की सड़कों पर अब सिर्फ ट्रैफिक नहीं, मौत दौड़ रही है। यहां सड़कें रास्ता नहीं रहीं, बल्कि रणभूमि बन चुकी है, जहां हर रोज आम लोग अपनी जान की बाजी लगाकर निकलते हैं। स्कूल जाते मासूम बच्चे हो या दवा लेने निकले बुज़ुर्ग, हर कोई खुद को खतरे के साए में महसूस कर रहा है। वर्षों से बायपास की मांग की जा रही है, लेकिन सरकार और जनप्रतिनिधियों की नजरें अब भी फाइलों के ढेर में उलझी है।

मुंबई-कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे डोंगरगढ़ में बायपास न होने के चलते भारी वाहन शहर के बीचों-बीच से गुजरते हैं। तेज रफ्तार ट्रक स्कूल, बाजार, अस्पताल और सरकारी कार्यालयों के सामने से गुजरते हैं और इस पूरी सड़क में हादसे की आशंका बनी रहती है। इसी सड़क पर केंद्रीय विद्यालय, सरस्वती शिशु मंदिर समेत कई बड़े स्कूल हैं, जिसमें पढ़ने वाले हजारों बच्चे इसी सड़क का उपयोग करते हैं। तीन दिन पहले एक युवक ट्रक की चपेट में आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। चालक फरार हो गया, बाद में पकड़ा गया, लेकिन क्या इससे उसकी मां की सूनी गोद फिर से भर सकेगी? आंकड़ों पर नजर डालें तो 2024 में 52 हादसे दर्ज हुए और 2025 की शुरुआत से अब तक 12 मामले दर्ज हो चुके हैं। ये सिर्फ आंकड़े नहीं, जिंदा सवाल है, क्या जानता की जान की कीमत सिर्फ एक गिनती बनकर रह गई है?

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