भारतसियासी गलियारा

राहुल, अखिलेश, शिवराज के गढ़ किसके साथ, 50 सीटों पर उपचुनाव में होगा फैसला; हलचल तेज

लोकसभा चुनाव खत्म हुए अभी कुछ महीने ही बीते हैं कि अब उपचुनाव का दौर शुरू होने वाला है। इस साल के अंत तक देश की 50 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें कई सीटें लोकसभा की हैं तो ज्यादातर विधानसभा सीटों पर मतदान होना है। ये सीटें उन विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई हैं, जो अब सांसद बन चुके हैं या फिर दो जगहों से लड़ने के चलते एक लोकसभा सीट खाली की है। माना जा रहा है कि इन सीटों पर हरियाणा, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और झारखंड जैसे राज्यों में विधानसभा चुनाव के साथ ही वोटिंग कराई जा सकती है।

उत्तर प्रदेश में ही 10 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है, जिनमें से एक सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली मैनपुरी की करहल है। इसके अलावा अयोध्या के सांसद बने अवधेश प्रसाद की सीट मिल्कीपुर भी है। वह अब तक यहीं से विधायक थे। गाजियाबाद, कुंदरकी जैसी सीटों पर भी चुनाव होना है। वहीं मध्य प्रदेश में पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की विधानसभा सीट बुधनी में भी चुनाव होगा। अब वह विदिशा सीट से सांसद बन चुके हैं। वहीं कर्नाटक में बसवराज बोम्मई, एचडी कुमार स्वामी, बिहार में जीतन राम मांझी और सिक्किम में सीएम प्रेम सिंह तमांग की छोड़ी हुई सीटों पर भी मतदान होगा।

उपचुनाव में सबसे ज्यादा यूपी की सीटें हैं तो दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है। यहां 6 सीटों पर उपचुनाव होगा। इसेक अलावा असम और राजस्थान में 5-5 सीटों पर वोटिंग होगी। बिहार और पंजाब में 4-4 सीटों पर उपचुनाव होना है। बता दें कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी रायबरेली और वायनाड सीट से लड़े थे। उन्होंने चुनाव के बाद रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला लिया और वायनाड से इस्तीफा दे दिया। अब वायनाड से उनकी बहन प्रियंका गांधी चुनाव लड़ रही हैं। नियम के अनुसार किसी भी सीट को 6 महीने से ज्यादा खाली नहीं रका जा सकता। ऐसे में ज्यादातर सीटों पर नवंबर तक मतदान करा लिया जाएगा।

इसी साल महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में असेंबली इलेक्शन का प्लान है। संभावना है कि अलग-अलग समय पर राज्यों के साथ ही विधानसभा और लोकसभा के उपचुनाव भी करा लिए जाएं। कई राज्यों में तो उपचुनाव को भी सरकार के लिए जनादेश के तौर पर माना जा रहा है। यूपी में भाजपा को लोकसभा चुनाव में झटका लगा था। ऐस में अब 10 विधानसभा सीटों पर जीत के जरिए वह ताकत दिखाना चाहेगी। वहीं सपा और कांग्रेस एक बार फिर अपनी ताकत को दिखाना चाहेंगे।

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