सियासी गलियारा

भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की गूंज पूरे प्रदेश में, विधानसभा चुनाव नतीजे पर…

भोपाल । मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा चुनाव के लिए 18 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया। भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर की गूंज पूरे प्रदेश में है। अगर 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे पर नजर डालें तो समझ आता है कि लोग क्यों कह रहे हैं कि पलड़ा इस वक्त किसी के भी पक्ष में झुक सकता है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा (41.02 प्रतिशत) और कांग्रेस (40.89 प्रतिशत) दोनों का वोट शेयर लगभग समान था और सीटों का अंतर सिर्फ पांच था। भाजपा ने 230 में से 109 और कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं।
राज्य ने 2020 में जो राजनीतिक उथल-पुथल देखी, उसके बावजूद इस बार के चुनाव में कोई लहर या अंतर्धारा नहीं दिखी। मतदान प्रतिशत, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है- 77.15 प्रतिशत रहा, जो मौजूदा सरकार के लिए खतरे की घंटी बताई जा रही है। कई लोग इस भारी मतदान को राज्य में बदलाव का संकेत मान रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने चुनाव जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों पक्षों ने कई लोकलुभावन वादे किए।
शिवराज सिंह चौहान अपनी लाडली बहना योजना से चुनाव को भाजपा के पक्ष में करने की उम्मीद कर रहे हैं। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा गरीब परिवारों की लगभग 1 करोड़ 30 लाख महिलाओं को वित्तीय सहायता के रूप में 1250 रुपये प्रति माह प्रदान किए जाएंगे। वहीं, इस बार वादा करने में कांग्रेस भी पीछे नहीं हटी। कांग्रेस ने लाडली बहना योजना की राशि को बढ़ाकर 1500 रुपये प्रति माह करने का वादा किया है। ऐसा लगता है कि एक समय राजनीतिक रूप से समझदार नहीं समझी जाने वाली महिला मतदाता अब चुनावों की केंद्र बिंदु बन गई हैं। जब इस वोट बैंक को खुश करने की बात आती है तो प्रत्येक पार्टी दूसरे से आगे निकलने की कोशिश करती है। दमोह से मौजूदा लोकसभा सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल नरसिंहपुर से मैदान में हैं, जो होशंगाबाद संसदीय सीट के अंतर्गत आता है। नरसिंहपुर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व वर्तमान में प्रह्लाद पटेल के छोटे भाई जालम सिंह पटेल करते हैं।
इस निर्वाचन क्षेत्र में बड़ी संख्या में महिला मतदाता अपने पहचान पत्र लेकर बूथ पर पहुंचीं। इन महिलाओं के लिए, मतदान सिर्फ एक अधिकार नहीं है, उनके लिए एक गर्व की बात है, उनके सक्षम होने का प्रतीक भी है और उनके लिए विशेष रूप से तैयार की गई योजनाओं के साथ, वे अपनी शक्ति के बारे में जानती हैं। आज तक से बात करते हुए महिला मतदाताओं ने उस ताकत के बारे में बात की जो पैसा उन्हें देता है, वह सम्मान जो अब विभिन्न योजनाओं के कारण उन्हें मिलता है। भारतीय महिलाओं के लिए, जिनकी आवाज नहीं सुनी जाती थी, जिन्हें कुछ नौकरियों को छोडक़र बाकी सभी चीजों के लिए अयोग्य माना जाता था, ये योजनाएं (कांग्रेस और भाजपा दोनों द्वारा) एक उद्धारकर्ता के रूप में आई हैं। इस चुनाव में मतदाताओं के पास चुनने के लिए ढेरों स्कीम्स थीं। सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडर से लेकर, दलितों और आदिवासियों के लिए मौद्रिक सहायता और कुछ मामलों में नकद वितरण के वादे को दोनों पार्टियां सत्ता में आने के टिकट के रूप में देखती हैं।
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही हिंदू वोटों के लिए जमकर प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। प्रदेश में प्रभु राम को अपना बनाने की होड़ दिखी। कमलनाथ ने अयोध्या में विवादित स्थल के ताले खोलने का श्रेय कांग्रेस पार्टी और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिया। प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया जो एक समय में घनिष्ठ मित्र थे, एक दूसरे पर तंज कसते हुए दिखे। भाजपा के लिए मध्य प्रदेश में पीएम मोदी ने 16 रैलियां कीं और 1 रोड शो किया। अमित शाह ने 18 रैलियां, 2 रोड शो किए। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 17 रैलियां कीं। भाजपा से सत्ता छीनने के लिए राहुल और प्रियंका ने राज्य में धुंआधार चुनाव प्रचार किए। राहुल गांधी ने 11 रैलियां और 3 रोड शो किए। प्रियंका गांधी ने 10 रैलियां और 1 रोड शो किया। भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी लड़ाई के बावजूद, इस बार दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों के प्रचार में समानताएं देखने को मिलीं। दोनों के प्रचार के रंग एक से ही थे और यही कारण है कि चुनावी लड़ाई में एक निश्चित विजेता को चुनना आसान नहीं है। दोनों पार्टियों का बहुत कुछ दांव पर लगा है।
भाजपा ने इस बार केंद्रीय मंत्रियों सहित 7 सांसदों को राज्य चुनाव लड़ाया। पार्टी ने किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया। सामूहिक नेतृत्व चुनावी मुद्दा रहा। इस बार पीएम, पार्टी, सिंबल ही मूलमंत्र रहा। एक राज्य जहां कांग्रेस धर्म को अपनी आस्तीन पर रखती है वह मध्य प्रदेश है। हिंदू वोटों पर दोनों पार्टियों ने अपनी दावेदारी जताई। यह एकमात्र भूमिका का उलटफेर नहीं है। भाजपा अप्रत्याशित रूप से राज्य में भगवान राम के नाम पर मतदाताओं को रुझाती दिखी। इस बार राम के नाम की दावेदारी पर कांग्रेस भी पीछे नहीं थी। कमलनाथ ने यहां तक कह दिया की अयोध्या की विवादित जमीन के ताले खोलने में राजीव गांधी को श्रेय देना चाहिए। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। एक बात बिल्कुल स्पष्ट है, ये जो जनता है सब जानती है। उसे पता है कि जो भी पार्टी सत्ता में आएगी उसे योजनाओं के द्वारा लुभाया जाएगा। क्या योजनाओं की लड़ी 2024 चुनाव से पहले लगा दी जायेगी? बहुत से लोग ऐसा मानते हैं।

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