गौतम गंभीर से रिश्ते पर दिल खोलकर बोले सूर्यकुमार यादव- जब प्रैक्टिस के लिए…
टीम इंडिया के नए टी20 कप्तान सूर्यकुमार यादव के लिए श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की टी20 इंटरनेशनल सीरीज काफी ज्यादा खास होने वाली है। सूर्या इससे पहले ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के खिलाफ टी20 सीरीज में कप्तानी कर चुके हैं, लेकिन फुल टाइम कप्तान के तौर पर यह उनकी पहली सीरीज है। इसके अलावा हेड कोच गौतम गंभीर के साथ भी उनका यह रिश्ता कुछ अलग सा है। दरअसल सूर्या केकेआर में गंभीर की कप्तानी में खेल चुके हैं और उन्होंने कहा कि तब से उनके और गंभीर के बीच रिश्ता काफी मजबूत रहा है। बीसीसीआई टीवी ने सूर्या का एक छोटा सा वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कप्तानी और हेड कोच गौतम गंभीर को लेकर दिल खोलकर बात की है।
वीडियो की शुरुआत मस्त अंदाज में करते हुए कहते हैं, ‘पहले तो मैं ये बोलना चाहता हूं कि दिलीप सर उधर से मार रहे हैं शॉट तो अपने को थोड़ा इधर आ जाना चाहिए।’ इसके बाद वो बोलते हैं, ‘दौलत है, शोहरत है… इज्जत है।’
क्रिकेटर बन कर क्या कुछ सीखा है
सूर्या ने इस पर कहा, ‘मुझे लगता है जो इस खेल से मैंने सबसे अहम बात सीखी है, वो ये है आप कितने हंबल हैं, चाहे आपने काफी कुछ हासिल कर लिया हो या फिर जब आप अच्छा नहीं कर पा रहे हों। ये मैंने सीखा है कि जब आप ने मैदान पर कुछ किया होता है, तो उसे आपको मैदान पर ही छोड़कर आना होता है। ये आपकी पूरी जिंदगी नहीं है, ये आपकी जिंदगी का एक हिस्सा है, तो ऐसा नहीं हो सकता कि जब आप अच्छा कर रहे हों, तो आप टॉप पर रहें, और जब आप अच्छा नहीं कर पा रहे हों, तो अंडरग्राउंड हो जाएं, मुझे ऐसा लगता है कि ये एक चीज आपको खिलाड़ी के तौर पर नहीं करनी चाहिए, मैं सिर्फ क्रिकेट की बात नहीं कर रहा, बल्कि सारे खेलों की बात कर रहा हूं। इससे मुझे अपने जीवन में बैलेंस बनाने में मदद मिली है। और अगर आप अच्छे इंसान हैं, तो आपके साथ अच्छा ही होगा।’
‘हमेशा से लीडर बनना अच्छा लगता है‘
सूर्या ने कहा, मुझे मैदान पर लीडर बनने में हमेशा से मजा आया है, अगर मैं कप्तान ना भी हूं तो। तो मैंने अलग-अलग कप्तान से काफी अलग-अलग बातें सीखी हैं। तो कप्तान बनकर अच्छा लग रहा है और यह बड़ी जिम्मेदारी भी है।
ये जो रिश्ता है, वो बहुत खास है, क्योंकि जब मैं 2014 में कोलकाता नाइट राइडर्स गया था, तो मैं उनकी कप्तानी में खेला, वो मेरे लिए खास था क्योंकि वहां से मेरे लिए मौके बनते चले गए। वो बोलते हैं ना तुम तीन कदम चले, आप भी दो कदम आए और बीच में कहीं मिल गए। तो वैसा रिश्ता था और अभी भी सबकुछ वैसे का वैसे ही स्ट्रॉन्ग। लेकिन उनको पता है कि मैं कैसे काम करता हूं, जब मैं प्रैक्टिस के लिए आता हूं तो मेरा माइंडसेट कैसा होता है, वो कोच के तौर पर क्या करना चाहते हैं, मुझे पता है।