इस तरह के लोगों को रहता है पेट के कैंसर का ज्यादा खतरा, जानें क्या कहता है आपका ‘Blood Group’
यह बात तो सब जानते हैं कि जरूरत पड़ने पर एक व्यक्ति को उसके ब्लड ग्रुप वाला खून ही चढ़ाया जाता है। लेकिन क्या आप इस बात को भी जानते हैं कि अलग-अलग ब्लड ग्रुप वाले लोगों को उनके ब्लड ग्रुप के अनुसार कुछ खास बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। जी हां, सिडनी स्थित डेली टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने अलग-अलग ब्लड ग्रुप के साथ कैंसर, हृदय संबंधी रोग और कुछ संक्रामक रोगों के विकास के जोखिम के बीच संबंध बताया है। ‘O’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए अच्छी बात यह है कि बाकी ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में उन्हें अधिकांश बीमारियों का जोखिम सबसे कम बने रहने की संभावना बनी रहती है। हालांकि शोध में यह भी कहा गया है कि अगर किसी व्यक्ति के खून में किसी विशेष प्रकार की बीमारी की संभावना है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप आवश्यक रूप से बीमार पड़ जाएंगे। आप इस खतरे को रूटिन लाइफ में साफ-सफाई पर ध्यान देकर, डॉक्टर से उचित सलाह लेकर भी कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं किस ब्लड ग्रुप को किस रोग के होने का खतरा सबसे ज्यादा बना रहता है।
कैंसर
अध्ययनों से पता चला है कि ‘O’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में अग्नाशय कैंसर होने का खतरा कम बना रहता है। जबकि अन्य अध्ययन बताते हैं कि ‘A’,’B’ और ‘AB’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को पेट के कैंसर के होने का खतरा ज्यादा बना रहता है।
हृदय रोग-
आंकड़े बताते हैं कि ब्लड ग्रुप ‘A’, ‘B’ और ‘AB’ में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) विकसित होने का खतरा ज्यादा बना रहता है। थ्रोम्बोसिस तब होता है जब रक्त के थक्के नसों या धमनियों को अवरुद्ध कर देते हैं। इसके लक्षणों में एक पैर में दर्द और सूजन, सीने में दर्द या शरीर के एक तरफ सुन्नपन शामिल होता है। थ्रोम्बोसिस की वजह से स्ट्रोक या दिल का दौरा जैसी स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिसका मुख्य कारण बढ़ा हुआ विलेब्रांड फैक्टर माना जाता है। दरअसल, विलेब्रांड एक तरह का प्रोटीन होता है, जो रक्त को जमने में मदद करता है। जबकि यही विलेब्रांड फैक्टर ब्लड ग्रुप ‘O’ वाले लोगों में कम होने की वजह से स्ट्रोक जैसे दिल से जुड़े रोगों का खतरा कम पैदा करता है।
संक्रामक रोग-
ब्लड ग्रुप ‘O’ वाले लोगों में हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण से प्रभावित होने की संभावना ज्यादा बनी रहती है। यह संक्रमण पेट और छोटी आंत को संक्रमित करता है। ऐसे लोग हैजा, एस्चेरिचिया कोली और नोरोवायरस से होने वाली बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। हालांकि,’O’ ब्लड ग्रुप वाले लोग मलेरिया जैसे रोग से जल्दी ठीक भी हो जाते हैं।
बांझपन-
हालिया शोध बताते हैं कि ‘O’ ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में एफएसएच यानी कि फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन(ये एक ऐसा हार्मोन है, जो महिलाओं में ओवुलेशन के लिए जिम्मेदार होता है।) के उच्च स्तर की वजह से गर्भावस्था से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं। जिसकी वजह से कम अंडे उत्पन्न हो पाते हैं। हालांकि एक अन्य अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने पाया कि ‘B’ ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में आईवीएफ की सफलता दर ‘O’ ब्लड ग्रुप और ‘A’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों की तुलना में अधिक रहती है।
मेमोरी लॉस-
अगर अब तक आप खुद को ‘AB’ ब्लड ग्रुप होने पर स्पेशल महसूस कर रहे थे तो हो सकता है आपको यह बात पसंद ना आए। साल 2014 में, कुछ शोधकर्ताओं का कहना था कि ‘AB’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में कुछ सालों बाद कई तरह के संज्ञानात्मक दोषों के विकसित होने की संभावना 82 प्रतिशत से अधिक बनी रहती है। संज्ञानात्मक दोष से मतलब है कि किसी व्यक्ति की सोचने, सीखने, याद रखने, निर्णय लेने और निर्णय लेने की क्षमता में समस्या पैदा होना। संज्ञानात्मक हानि के लक्षणों में स्मृति हानि और ध्यान केंद्रित करने, कार्यों को पूरा करने, समझने, याद रखने, निर्देशों का पालन करने और समस्याओं को हल करने में परेशानी शामिल है।
टाइप-2 मधुमेह-
हालांकि टाइप-1 मधुमेह के बारे में बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है, लेकिन आपको यह पता होना चाहिए कि ‘A’ और ‘B’ ब्लड ग्रुप वाले लोगों में टाइप-2 मधुमेह विकसित होने की संभावना लगभग 20 प्रतिशत अधिक रहती है।