खेल जगत

टीम इंडिया के लिए 2 अलग-अलग कोच होने चाहिए या नहीं? इंग्लैंड और भारत के पूर्व क्रिकेटर भिड़े

घर पर न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में क्लीन स्वीप और फिर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में टीम इंडिया के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद भारतीय ड्रेसिंग रूम को लेकर चर्चाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। बीसीसीआई ने नए नियम भी खिलाड़ियों के लिए बनाए हैं। टीम इंडिया के कप्तान और कोच से बोर्ड ने सवाल भी किए हैं और टीम के प्रदर्शन की समीक्षा भी हुई है। यही कारण है कि गौतम गंभीर के लिए चैंपियंस ट्रॉफी 2025 काफी अहम है। चैंपियंस ट्रॉफी के बाद भी टीम और कोचिंग स्टाफ की समीक्षा की जाएगी। इस बीच एक सुझाव आया कि भारतीय क्रिकेट टीम दो अलग-अलग कोच चुन सकती है। हालांकि, इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर मोंटी पनेसर और भारत के पूर्व क्रिकेटर सुनील जोशी इस पर अलग-अलग राय रखते हैं। 

इंग्लैंड के लिए लंबे समय तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने वाले मोंटी पनेसर ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “मुझे ऐसा लगता है। मुझे लगता है कि यह एक अच्छा विकल्प है। मुझे लगता है कि शायद गंभीर के लिए वर्कलोड बहुत ज्यादा है…वह अभी कोच के रूप में आए हैं। कभी-कभी कुछ सीनियर खिलाड़ियों के लिए यह मुश्किल हो सकता है, जो वास्तव में सोचेंगे, ‘अच्छा, मैं कुछ साल पहले उसका साथी था, अब वह हमें बता रहा है कि क्रिकेट कैसे खेलना है।’ यह बदलाव मुश्किल हो सकता है, और साथ ही उनका रिकॉर्ड (बल्लेबाज के रूप में) ऑस्ट्रेलिया या इंग्लैंड में बहुत अच्छा नहीं है।”

हालांकि, बीसीसीआई के पूर्व मुख्य चयनकर्ता सुनील जोशी ने इस तरह के किसी भी विचार को खारिज कर दिया है। उन्होंने टीओआई से कहा, “मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि बीजीटी (परिणाम) के बाद कोई भी अचानक प्रतिक्रिया नहीं होनी चाहिए। मेरा मतलब है कि हम बीजीटी हार गए हैं, इसे स्वीकार करें…उन्होंने (ऑस्ट्रेलिया) बेहतर क्रिकेट खेला। चलिए इसे स्वीकार करते हैं। हमें पश्चिमी रास्ते पर नहीं जाना चाहिए। हमें अपने तरीके से चलना चाहिए, जो हमें सूट करता है, क्योंकि हमारे अधिकांश खिलाड़ी तीनों प्रारूपों के लिए खेलने जा रहे हैं। बहुत कम अपवाद हैं जो (केवल) टेस्ट या टी20 और वनडे में खेलने जा रहे हैं। इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

उन्होंने यह भी कहा कि दो कोच होने से कई तरह के निर्णय लेने की संभावना खुल जाती है। जोशी ने कहा, “जब आपके पास दो कोच होंगे, तो क्रिकेट खेलने के तरीके पर दो अलग-अलग विचार होंगे। हालांकि, आप कह सकते हैं कि वे सभी प्रोफेशनल हैं और सब कुछ जानते हैं, लेकिन फिर भी, निर्णय लेने की 1% संभावना है। किसी विशेष सीरीज से पहले, व्हाइट-बॉल कोच आएगा, फिर दूसरा कोच (टेस्ट के लिए)। फिर वे अलग-अलग तरह की ट्रेनिंग करना शुरू कर देंगे। जब आपके पास कई टीमों के लिए कई कोच होते हैं, तो पूरी तरह से अलग-अलग गतिशीलता होती है। इस पर मेरा यही विचार है।” देखा जाए तो सुनील जोशी के विचार सही भी हैं, क्योंकि इंग्लैंड की टीम स्प्लिट कोचिंग में अच्छा नहीं कर रही थी तो उन्होंने अब ब्रेंडन मैकुलम को ही तीनों फॉर्मेट का हेड कोच बना दिया है।

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