हमर छत्तीसगढ़

Rs 2200 करोड़ के शराब घोटाले की जांच अब CBI के हवाले हो?

राज्य जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं, केंद्र को भेजा गया 200 पन्नों का दस्तावेज़ी पुलिंदा भाजपा के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं प्रदेश भाजपा कार्यालय प्रभारी नरेश चंद्र गुप्ता के द्वारा

// 10 अप्रैल को भेजे गए पत्र में भ्रष्टाचार की परतें और RTI में हेराफेरी की विस्तृत शिकायत

// घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री से लेकर जिलों तक के अफसरों के नाम दर्ज

// EOW/ACB पर रसूखदारों को बचाने के आरोप, बारकोड ठेका और डिस्पैच सिस्टम में गड़बड़ी

// छत्तीसगढ़ प्रदेश के सर्वाधिक प्रसारित अंग्रेज़ी अख़बार “द हितवाद” (The Hitavada) के खोजी पत्रकार मुकेश एस सिंह के एक और विशेष एक्सल्यूज़िव ख़बर के अनुसार

रायपुर/ बिलासपुर . छत्तीसगढ़ में चल रहे बहुचर्चित शराब घोटाले को लेकर अब CBI जांच की मांग खुलकर सामने आ चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के विधि प्रकोष्ठ के प्रमुख एवं प्रदेश कार्यालय प्रभारी अधिवक्ता नरेश चंद्र गुप्ता ने एक गोपनीय पत्र 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा है, जिसमें राज्य की आर्थिक अपराध शाखा EOW/ACB द्वारा की जा रही वर्तमान जांच पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं।

शिकायत के साथ संलग्न 200 पृष्ठों से अधिक के दस्तावेज़ों में अनेक गंभीर तथ्यों को शामिल किया गया है। इनमें 17 जनवरी 2024 को EOW/ACB द्वारा दाखिल की गई चार्जशीट, 30 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश (मामला क्रमांक MCRC 5081/2024), और 24 फरवरी 2025 को ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित निर्णय की प्रमाण प्रतियां भी शामिल हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि इन दस्तावेजों से स्पष्ट होता है कि जांच प्रक्रिया अधूरी, पूर्वग्रह से ग्रसित और महत्वपूर्ण साक्ष्यों को नज़रअंदाज़ करने वाली है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि वर्ष 2019 से 2023 के बीच शराब कारोबार से जुड़ी प्रशासनिक प्रक्रियाओं में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ। दस्तावेजों में बारकोड टेंडर प्रक्रिया में मनमानी, स्टॉक रजिस्टर और डिस्पैच लॉग में मेल न होना, RTI के जवाब में रिकॉर्ड “गायब” बताना, और CSMCL तथा आबकारी विभाग की मिलीभगत जैसे गंभीर बिंदुओं को रेखांकित किया गया है। शिकायत में जिन लोगों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांढ, रिटायर्ड IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, CSMCL के पूर्व प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, सौम्या चौरसिया, अशिष वर्मा, मनीष बंछोर, मनीष मिश्रा, संजय मिश्रा, विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, संजय दीवान, अरविंद सिंह और एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर जैसे नाम प्रमुख हैं।

पत्र में आरोप है कि जिले स्तर पर शराब बिक्री से जमा अवैध नकद राशि को थानों में इकट्ठा कर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (इंटेलिजेंस) अभिषेक महेश्वरी के घर भेजा जाता था, और वहां से इसे एक ‘सेफ हाउस’ में स्थानांतरित किया जाता था, जो अनवर ढेबर से जुड़ा है। यह पूरा चैनल कथित तौर पर EOW/ACB की जांच से जानबूझकर बाहर रखा गया।

इतना ही नहीं, आबकारी सॉफ्टवेयर में तकनीकी छेड़छाड़ के आरोप भी लगाए गए हैं। आरोप है कि A.P. त्रिपाठी के निर्देश पर सॉफ्टवेयर में बदलाव कर घोस्ट डिस्पैच, फर्जी स्टॉक और लॉग इनवेंट्री तैयार की गई, जिसे NIC के सिशिर रायजादा ने लागू किया।

नवीन केडिया (छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी प्रा. लि.), भूपेंदर पकल सिंह भाटिया (भाटिया वाइन), राजेन्द्र जायसवाल (वेलकम डिस्टिलरी), सिद्धार्थ सिंघानिया (टॉप सिक्योरिटीज), संजय व मनीष मिश्रा (Nexgen Power), अतुल कुमार सिंह, मुकेश मंचंदा (Om Sai), आशीष सौरभ केडिया (Dishita Ventures) जैसे नाम इस घोटाले से जुड़े बताए गए हैं।

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, “शिकायत की भाषा और सबूतों की मात्रा इस मामले को CBI के दायरे में लाती है। IPC की धारा 409, 420, 467, 120B और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d) व 17 के तहत यह एक स्पष्ट मामला बनता है।”

जब तक निष्पक्ष एजेंसी इस मामले को हाथ में नहीं लेती, तब तक राज्य की जनता को न्याय नहीं मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो जनविश्वास जगाया है, वह तभी मजबूत होगा जब इस प्रकरण को CBI को सौंपा जाएगा।”

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