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आम आदमी को झटका…जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में राज्यों के विरोध के कारण टैक्स कम करने का प्रस्ताव अटका

जैसलमेर। हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस पर फिलहाल जीएसटी कम नहीं होगा। जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कम करने के प्रस्ताव को अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में टर्म इंश्योरेंस, जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर टैक्स कम करने का प्रस्ताव राज्यों के विरोध के चलते टल गया है। काउंसिल ने मंत्रियों से इस पर और अध्ययन करने को कहा है।
शनिवार केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक हुई। बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि बीमा पर जीएसटी कम करने के प्रस्ताव को अगली बैठक के लिए टाल दिया गया है। बताया जा रहा है कि बैठक में कई वस्तुओं पर जीएसटी की दरों में बदलाव के निर्णय हुए हैं। मंत्री समूह की सिफारिशों के आधार पर कुछ आइटम में जीएसटी कम होगी, जबकि लग्जरी आइटम पर टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया गया है।


पुरानी कारों पर 18 प्रतिशत जीएसटी
देश में पुराने और यूज्ड वाहनों का मार्केट काफी बढ़ गया है। तमाम कंपनियां पुराने वाहनों को कम दाम पर सेल कर रही है, लेकिन इन ओल्ड व्हीकल्स की बिक्री पर लगने वाले टैक्स को लेकर शनिवार को जीएसटी काउंसिल की राजस्थान के जैसलमेर में आयोजित 55वीं बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। दरअसल, जीएसटी काउंसिल की बैठक में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स समेत पुराने वाहनों की बिक्री पर टैक्स में इजाफा किए जाने पर सहमति बन गई है। इसे 12 फीसदी से बढ़ाकर अब 18 फीसदी करने पर सहमति बनी है।  


काउंसिल की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर
 बदले गए जीएसटी रेट्स कंपनियों या फिर डीलर्स द्वारा बेची गई पुरानी कारों से जुड़े लेन-देन पर लागू होंगे। मतलब काउंसिल द्वारा ये संशोधित रेट्स मार्जिन के साथ बेचे जाने वाले और इससे सेक्टर में काम करने वाली कंपनियों द्वारा खरीदे जाने वाले वाहनों पर लागू होते हैं। हालांकि, पुराने वाहन बेचने या खरीदने वाले व्यक्तियों पर 12 फीसदी की दर से ही टैक्स लागू रहेगा। यानी इंडिविजुल खरीदारों और विक्रेताओं पर कोई असर नहीं होगा।


 इंजन और लंबाई के हिसाब से टैक्स
मौजूदा रेट्स की बात करें, तो 1200 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 एमएम या उससे अधिक की लंबाई वाले पेट्रोल, एलपीजी या सीएनजी से चलने वाले वाहनों के लिए 18 प्रतिशत, 1500 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले डीजल वाहनों के लिए 18 प्रतिशत, और 1500 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले स्पोट्र्स यूटिलिटी वाहनों (एसयूवी) के लिए 18 प्रतिशत लगता है। ऐसे में जीएसटी काउंसिल द्वारा इस कैटेगरी के ओल्ड और यूज्ड वाहनों के लिए जीएसटी रेकट्स को बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने का फैसला बड़े वाहनों और एसयूवी के लिए मौजूदा कर ढांचे के अनुरूप है। बदलाव के मुताबिक, अब पुराने इलेक्ट्रिक वाहनों सहित अन्य 12 प्रतिशत टैक्स वाले वाहन, व्यवसायों द्वारा दोबारा बेचे जाने पर 18 प्रतिशत के ब्रैकेट मे शामिल होंगे।


पुरानी ईवी की सेल पर पड़ सकता है असर!
नए ईवी व्हीकल पर अभी 5 फीसदी जीएसटी लगता है, ताकि इस सेक्टर में ग्रोथ लाई जा सके, लेकिन अब पुरानी इलेक्ट्रिक कारों की रि-सेल पर 18 प्रतिशत जीएसटी पर सहमति बनी है, तो इससे सेकेंड-हैंड ईवी ग्राहकों के बीच इसका आकर्षण कम हो सकता है और इससे डिमांड में कमी आ सकती है। सेकेंड हैंड वाहनों की मरम्मत और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट पाट्र्स और सर्विसेज पर पहले से ही 18 प्रतिशत की जीएसटी दर लागू होती है।

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