अटल बिहारी वाजपेयी विवि में देशभर से पहुंचे विद्वान, राष्ट्र व समाज के विकास पर किया गया मंथन
बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय में रविवार को राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद के त्रि-दिवसीय, छठवें राष्ट्रीय अधिवेशन का श्रीगणेश हुआ। उद्घाटन सत्र में मंचस्थ मुख्य अतिथि महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस एवं अध्यक्षता राज्य के उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने किया। अधिवेशन में विद्वानों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मातृभाषा, भारतीय संस्कृति एवं शोध पर बल दिया। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय एवं राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् का तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन आरंभ हुआ। अधिवेशन में प्रज्ञा प्रवाह, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक, जे.नंद कुमार, अतिविशिष्ट अतिथि प्रो. पीवी.कृष्ण भट्ट कुलाधिपति, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, प्रो. राजकुमार भाटिया, पूर्व आचार्य, दिल्ली विश्वविद्यालय, प्रो. धनंजय सिंह, सदस्य सचिव भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ वाजपेयी एवं अध्यक्ष राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद्, राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् महामंत्री, डा. शिला राय, सुशांत शुक्ला विधायक बेलतरा प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
मंच का संचालन डा.पूजा पांडेय ने किया। बताया कि राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् के विषय ‘‘समाज विज्ञान की दृष्टि से भारतीय परंपरा में समग्र विकास’’ एवं छह उपविषयों के संदर्भ में 150 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। इस सत्र में प्रज्ञा प्रवाह, नई दिल्ली के राष्ट्रीय संयोजक और प्रख्यात जे. नंद कुमार ने विकसित भारत बनाने संदेश और मंत्र समग्र विकसित भारत पर चर्चा की। भारत को विकासित करने से संबंधित प्रधानमंत्री के पांच मंत्रों को सविस्तार उपस्थितों के सामने उदाहरण सहित प्रस्तुत किया। इस अधिवेशन में देशभर से कुलपति, प्राध्यापक एवं शिक्षाविद् पहुंचे। अध्यक्ष राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद् , महामंत्री डा. शिला राय, आयोजक प्रो. एसएल निराला, कुलसचिव शैलेंद्र दुबे, परीक्षा नियंत्रक डा. तरुण धर दीवान विशेष रूप से उपस्थित थे।
उद्घाटन की अध्यक्षता कर रहे छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने अपने उद्बोधन में कहा की सबसे प्राचीन श्रेष्ठ, संस्कृति, संस्कार हमारे भारत वर्ष का है आज की आवश्यकता है भारत की प्रतिष्ठा, गौरव सम्मान, अभियान को गति देने की और जुड़ने की आवश्यकता है।
मुख्य अतिथि रमेश बैस राज्यपाल महाराष्ट्र ने कहा की मातृभाषा में मिलने वाली शिक्षा से मानवीय विकास के साथ-साथ संस्कृति एवं राष्ट्र के गौरव को समझने में आसानी होती है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ करते हुए कहा कि इससे शिक्षा का स्तर बढ़ेगा।
कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी ने कहा कि इतिहास अनुसंधान को सही दिशा देना और इतिहास के यथार्थ एवं वैज्ञानिक लेखन को बढ़ावा तथा प्रोत्साहन देना है। परिषद के व्यापक उद्देश्यों में इतिहासकारों को साथ लाना, उनके बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच प्रदान करना है।