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विधानसभा में भारतमाला परियोजना के मुआवजा घोटाले पर बवाल

रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में 25 फरवरी को प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने भारतमाला परियोजना में अभनपुर के मुआवजा वितरण में हुई धांधली और कलेक्टर की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठाया।

राजस्व मंत्री ने लिखित जवाब में कहा कि उन्हें इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। इस पर डॉ. महंत ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि इतने पहले प्रश्न लगाने के बावजूद इस तरह का उत्तर आना उचित नहीं है। स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने व्यवस्था देते हुए निर्देश दिया कि अगली प्रश्नकाल बैठक में राजस्व मंत्री को सबसे पहले इस प्रश्न का उत्तर देना होगा।

मुआवजा घोटाले की परतें खुलीं
अभनपुर में सिक्स लेन रोड निर्माण के लिए 35 करोड़ रुपये के मुआवजे का प्रावधान था, लेकिन प्रशासनिक धांधली से इसे 326 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया। इसमें से 248 करोड़ रुपये का वितरण भी कर दिया गया। बचे 78 करोड़ रुपये को लेकर किसानों के विरोध के बाद यह घोटाला उजागर हुआ।

सूत्रों के अनुसार, 3ए के प्रकाशन के बाद जमीनों की खरीद-बिक्री और खसरा विभाजन पर रोक लग जाती है। लेकिन नायकबांधा और उरला गांवों में इस प्रतिबंध के बावजूद 32 खातों को 242 छोटे टुकड़ों में विभाजित कर अधिक मुआवजा लिया गया।

कैसे हुआ मामला उजागर
जब 78 करोड़ रुपये के और क्लेम की प्रक्रिया शुरू हुई, तो नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के अधिकारियों ने अनियमितताओं पर सवाल उठाए। जांच के बाद रायपुर कलेक्टर ने रिपोर्ट राजस्व सचिव को भेजी, जिसमें पाया गया कि वास्तविक मुआवजा केवल 35 करोड़ रुपये बनता था, लेकिन 213 करोड़ रुपये अतिरिक्त बांट दिए गए।

बड़े व्यवसायियों की संलिप्तता
रायपुर-धमतरी के कुछ बड़े व्यवसायियों ने परियोजना की घोषणा के बाद आसपास की जमीनें खरीद लीं। छोटे टुकड़ों में विभाजन से मुआवजे की दर आठ गुना तक बढ़ा दी गई। सरकारी दर पर 14 लाख रुपये प्रति एकड़ की जमीन को 500 वर्गफुट के टुकड़ों में बांटकर मुआवजा एक करोड़ रुपये प्रति टुकड़ा तक पहुंचा दिया गया।

78 करोड़ रुपये के भुगतान पर रोष, काम बंद
बचे 78 करोड़ रुपये की मांग को लेकर किसान लगातार विरोध कर रहे हैं, जिससे सिक्स लेन परियोजना बाधित हो रही है। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जहां राज्य सरकार ने एनएचआई के कार्य में बाधा न आने देने का आश्वासन दिया। हालांकि, किसानों ने इसके तुरंत बाद पुनः काम रोक दिया।

कार्रवाई पर सवाल, एसडीएम बचे
2019 से 2021 के बीच इस घोटाले में दो एसडीएम शामिल रहे, जो भूमि अधिग्रहण अधिकारी के रूप में कार्यरत थे। हालांकि, अब तक किसी भी एसडीएम पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। केवल दो पटवारियों और एक तहसीलदार को निलंबित किया गया है।

रायपुर-विशाखापटनम ग्रीन कॉरिडोर परियोजना
भारत सरकार 25,000 करोड़ रुपये की लागत से रायपुर से विशाखापटनम तक 464 किलोमीटर लंबा सिक्स लेन एक्सप्रेसवे बना रही है, जिसमें से 124 किलोमीटर छत्तीसगढ़ में है। इस परियोजना से यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर 7 घंटे हो जाएगा। ओडिशा और आंध्रप्रदेश में तेजी से काम चल रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ में किसानों के विरोध के चलते काम बाधित हो रहा है।

ग्रीन कॉरिडोर की विशेषताएं

दोनों ओर बाउंड्री वॉल होगी ताकि जानवर या वाहन सड़क पर न आ सकें।
सिर्फ दो टोल बैरियर – एक अभनपुर और दूसरा विशाखापटनम में।
औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए माल ढुलाई आसान होगी।

इस घोटाले ने राज्य सरकार और प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि इस मुद्दे पर आगे क्या कार्रवाई होती है।

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