बीज कंपनियों के साथ सरकारी समझौते पर उठे सवाल
भोपाल । राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस)के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान सघ ने कृषि नीति एवं योजनाओं के मामले में भारत सरकार पर तीखा हमला बेाला है। विगत दिनों भुवनेश्वर में हुई भारतीय किसान संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी व प्रबंध समिति की बैठक में बीज कानून बनाने व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के एमेजॉन, बायर जैसी विदेशी व धानुका, कोरोमंडल निजी कंपनियों से किये गये समझौतों की तीखी आलोचना की गई। बैठक में शामिल होकर लौटे भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने बताया कि भारतीय किसान संघ ने विदेशी व निजी कंपनियों से किये गये समझौतों को न सिर्फ रद्द करने की मांग की। साथ ही समझौता करने वाले अधिकारियों के खिलाफ जांच कर कड़ी कार्यवाही की मांग की है। भारतीय किसान संघ की प्रबंध कार्यकारिणी ने बीज कानून तत्काल बनाये जाने प्रस्ताव भी पारित किया। जिसमें कहा गया कि बीज बाजार पंद्रह हजार करोड़ का है। जिस पर विदेशी व निजी कंपनियों की नजर है।
किसान संघ के महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने बताया कि सही बीज कानून न होने के कारण नकली, अप्रमाणिक व अनाधिकृत बीज धड़ले से बाजार में बिक रहे हैं। जिससे किसानों को भारी नुकसान है। श्री मिश्र ने कहा कि खाद्यान्न सुरक्षा का मूल आधार किसान है और बीज किसानों का अधिकार है। इसलिये केंद्र सरकार से आग्रह है कि किसान के शोषण को रोकने के लिये हितधारकों से सहमति बनाकर किसान हित व राष्ट्र हित में तुरंत कानून बनाये।
बीकेएस की बैठक में आईसीएआर निशाने पर था। उसके खिलाफ पारित प्रस्ताव में तीखी आलोचना की गई है। भारतीय एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर के अध्यक्ष व प्रधानमंत्री एमएसपी कमेटी के सदस्य प्रमोद चौधरी ने कहा कि जब आईसीएआर के पास देश भर में 731 कृषि विज्ञान केंद्रो का बड़ा नेटवर्क है। तो वह 2023 से कृषि शोध, सलाह, तकनीकी मार्गदर्शन के नाम पर विदेशी व निजी कंपनियों से संदिग्ध समझौते क्यों कर रहा है। जबकि ये संस्थायें हमारे कृषि क्षेत्र के आर्थिक और पर्यावरण संकट के लिये जिम्मेदार हैं। किसान, किसान संगठन, बीज उत्पादक समूह की उपेक्षा करके आईसीएआर के ये समझौते क्या देश हित में है? सरकार को कंपनियों से किये गये समझौते सार्वजनिक करने चाहिये।
बजट में सरकार ने खेती के लिये 32 व बागवानी के लिये 109 किस्मों के उन्नत बीज उपलब्ध कराने का वादा किया है, बीकेएस इसे संदेह की नजर से देखता है। उसका कहना है कि कृषि मंत्रालय को पूरी जानकारी किसानों के सामने रखना चाहिये। किसानों, किसान संगठन, कृषक बीज उत्पादक समूह को भरोसे में लिये बगैर विदेशी व निजी कंपनियों से उन्नत बीज तैयार कराने की कोशिश का भारतीय किसान संघ विरोध करेगा।