विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए प्लास्टिक को कहें न

नई दिल्ली: आज विश्व पर्यावरण दिवस है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर पूरा विश्व एकजुट है। हम प्रदूषण की रोकथाम के लिए क्या कुछ नहीं कर रहे हैं। डीजल की जगह ईलेक्ट्रिक वाहन प्रयोग कर रहे हैं, पेड़-पौधे लगा रहे हैं लेकिन क्या ये काफी है। आज की तारीख में जो सबसे बड़ा खतरा है वह है प्लास्टिक प्रदूषण। जी हां, प्लास्टिक प्रदूषण न सिर्फ पूरे पर्यावरण को खतरे में डाल रहा है बल्कि हमारे पीने के पानी से लेकर खाद्य पदार्थों तक को दूषित कर रहा है और हमारे शरीर के अंदर प्रवेश कर गंभीर बीमारियां भी दे रहा है। आइए हम सब आज संकल्प लें और प्लास्टिक प्रदूषण का ‘ना’ कहें।
इस बार विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की थीम ही इसीलिए ‘प्लास्टि प्रदूषण का अंत’ रखी गई है। कोरिया गणराज्य इस बार ग्लोबल प्रोग्राम की मेजबानी कर रहा है। प्लास्टिक प्रदूषण का मतलब है पर्यावरण में प्लास्टिक का जमा होना जो वन्यजीवों, समुद्री जीव और मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल रही है। इसमें प्लास्टिक बैग, बोतलें और माइक्रोप्लास्टिक जैसे कई प्रकार के प्लास्टिक अपशिष्ट शामिल हैं जो आसानी से नष्ट नहीं होते।
प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभाव
आज जो भी हम प्लास्टिक के थैले, बोतलें या पॉलीथिन इस्तेमाल कर रहे हैं ये पर्यावरण के साथ हम सब को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
जीव-जंतुओं पर क्या प्रभाव: प्लास्टिक हम सामान्यत: इस्तेमाल कर कचरे में फेंक देते हैं। कई बार इस प्लास्टिक को भोजन के साथ गाय या अन्य जीव खा लेते हैं। जिससे उनको कई घातक बीमारी हो जाती हैं। कई बार उनकी मौत भी हो जाती है।
समुद्री जीव पर प्रभाव: अक्सर हम प्लास्टिक में कोई भी सामान लेने के बाद उसे कहीं भी फेंक देते हैं। यह किसी नदी में चला जाता है तो कई बार जलीय जीव इसमें फंस कर दम तोड़ देते हैं।
मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव: आज प्लास्टिक पैंकिंग का जमाना है। फ्रूट से लेकर तमाम खाने-पीने की वस्तुएं भी हम प्लास्टिक पैकेट में घर लाते हैं और बड़े मजे से खाते हैं, लेकिन ये बेहद खतरनाक है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हमारे भोजन में ट्रांसफर हो जाते हैं जो शरीर के अंदर जाकर धीरे-धीरे गंभीर बीमारी को जन्म देते हैं।
प्लास्टिक प्रदूषण क्यों बढ़ रहा?
प्लास्टिक प्रदूषण समाज के लिए बड़ा खतरा है और ये लगातार बढ़ रहा है। इसका कारण है कि हमारे जीवन में प्लास्टिक का अधिक उपयोग। हम हर सामान प्लास्टिक में लेकर आते हैं। फल-फूल और अन्य सामान से लेकर भोजन तक प्लास्टिक पैकिंग में आ रहा है। दूसरा प्लास्टिक का उचित ढंग से निपटान नहीं हो रहा है। तीसरा है कि हम प्लास्टिक का उत्पादन लगातार बढ़ाते जा रहे हैं। प्लास्टिक का उत्पादन ज्यादा होगा तो प्रदूषण भी बढ़ेगा।
ऐसे रोकें प्लास्टिक प्रदूषण
प्लास्टिक प्रदूषण रोकना भी हमारे हाथ में ही है। हमें प्लास्टिक वेस्ट का उचित ढंग से निपटान करना चाहिए। प्लास्टिक की हमें रीसाइकलिंग करनी चाहिए। इसके अलावा हमें नो टू प्लास्टिक का संकल्प लेना होगा और निजी जिंदगी में प्लास्टिक का प्रयोग कम से कम करना होगा।
हाईकोर्ट ने भी लगा रखी है प्लास्टिक पर रोक
प्लास्टिक के प्रयोग को लेकर हाईकोर्ट तक ने रोक लगा रखी है इसके बाद भी धड़ल्ले से लोग इसे प्रयोग कर रहे हैं। विश्व पर्यावरण दिवस पर आइए हम सब संकल्प लेते हैं कि प्लास्टिक का प्रय़ोग जितना हो सके न करें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी स्वच्छ और स्वस्थ्य वातावरण में सांस ले सके।