UCC पर नीतीश कुमार की JDU ने फिर बढ़ाई BJP की धड़कनें, कहा- आम सहमति जरूरी
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को प्रमुखता से जगह दी थी। अपने दम पर बहुमत से दूर रही भाजपा के लिए अब इसे कानून बनाना आसान नहीं होगा। इसके लिए उसकी निर्भरता टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू पर बढ़ गई है। केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने पदभार ग्रहण करते हुए मंगलवार को कहा था कि यूसीसी अभी भी सरकार के एजेंडे में है और हमें इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि क्या होता है।
उनके इस बयान पर जेडीयू की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को कहा: “बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2017 में यूसीसी पर विधि आयोग को एक पत्र लिखा था। हमारा रुख आज भी वही है। हम यूसीसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर आम सहमति बने।”
2017 के अपने पत्र में नीतीश ने लिखा था, “सरकार को समान नागरिक संहिता लाने का प्रयास करना चाहिए। यह प्रयास स्थायी और टिकाऊ हो, इसके लिए व्यापक तौर पर आम सहमति बनानी चाहिए। इसे किसी आदेश द्वारा नहीं थोपा जाना चाहिए।”
एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी जेडीयू ने इससे पहले कहा था कि यूसीसी को सुधार के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि राजनीतिक साधन के रूप में।
वहीं, एनडीए में 16 सांसदों के साथ शामिल दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी टीडीपी ने कहा है कि यूसीसी जैसे मुद्दों पर बैठकर चर्चा की जानी चाहिए और हल किया जाना चाहिए।