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मप्र की 29 लोकसभा सीटों पर न लहर दिखी न जोश

भोपाल । मप्र में लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे और अंतिम चरण के मतदान के बाद राज्य में 2019 की तुलना में 4.96 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। हालांकि, चौथे चरण की आठ सीटों के आंकड़े शाम 6 बजे तक के हैं। इन सीटों पर मतदान के आंकड़े घट-बढ़ सकते हैं। सोमवार को चौथे चरण की आठ सीटों पर हुए मतदान के आंकड़ों को मिलाकर प्रदेश की 29 सीटों पर कुल 66.20 प्रतिशत मतदान हुआ है, जबकि 2019 में कुल 71.16 प्रतिशत मतदान हुआ था।
प्रदेश में चौथे की आठ सीटों इंदौर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, खरगोन, खंडवा, रतलाम, धार में 71.72 प्रतिशत मतदान हुआ। चुनाव आयोग के अनुसार यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। इन सीटों पर 2019 में 75.95 प्रतिशत मतदान हुआ था। उससे यह करीब चार प्रतिशत कम है।  चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार सबसे ज्यादा खरगोन में 75.79 प्रतिशत, देवास में 74.86 प्रतिशत, मंदसौर में 74.50 प्रतिशत, उज्जैन में 73.03 प्रतिशत, रतलाम में 72.86 प्रतिशत, धार में 71.50 प्रतिशत, खंडवा में 70.72 प्रतिशत और इंदौर में 60.53 प्रतिशत मतदान हुआ। पहले चरण में 19 अप्रैल और दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान हुआ था। इन दोनों चरणों में कम मतदान का कारण गर्मी और शादी विवाह कार्यक्रम को बताया गया था। इसके बाद तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग और राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने अपनी तरफ से जोर लगाया।

इन छह सीटों पर ज्यादा हुआ मतदान


प्रदेश की छह सीटों पर पिछली बार की तुलना में अधिक मतदान हुआ है। इसमें तीसरे चरण की भिंड (+0.51 प्रतिशत), ग्वालियर (+2.35 प्रतिशत), गुना(+2.11 प्रतिशत), सागर (+0.24 प्रतिशत), विदिशा (+2.69 प्रतिशत) और राजगढ़ (+1.65 प्रतिशत) सीट शामिल हैं।

इन सीटों पर कम मतदान


वहीं, कम मतदान में सबसे ज्यादा अंतर सीधी में 13 प्रतिशत, खजुराहो में 11.31 प्रतिशत शहडोल में 10.09 प्रतिशत, रीवा में 10.9 प्रतिशत, दमोह में 9.34 प्रतिशत और इंदौर में 8.78 प्रतिशत है।

इंदौर में सबसे कम मतदान, खरगोन में सर्वाधिक


प्रदेश में चौथे और अंतिम चरण में सोमवार को आठ सीटों पर सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान हुआ। ये सीटें हैं इंदौर, देवास, उज्जैन, मंदसौर, खंडवा, खरगोन, धार और रतलाम सीट। सुबह पोलिंग बूथ पर मतदान के लिए लंबी लंबी लाइनें लगीं, लेकिन दोपहर में धीरे धीरे मतदाताओं का उत्साह खत्म हो गया। कई पोलिंग बूथ पर मतदाता नदारद रहे। वहीं, कुछ जगह दोपहर बाद मौसम बदलने से आंधी और बारिश के चलते कुछ देर मतदान प्रक्रिया को रोकना पड़ा। चौथे और अंतिम चरण में सबसे कम मतदान इंदौर में 60.53 प्रतिशत हुआ। जबकि खरगोन में सबसे अधिक 75.79 मतदान हुआ है। हालांकि यह पिछली बार के तुलना में कम है।

एसटी बाहुल्य सीटों पर ज्यादा होता है मतदान


अंतिम चरण की आठ सीटों में तीन सीटें खरगोन, रतलाम और धार सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित सीटें हैं। इन सीटों पर मतदान अधिक होता है। यहां पर दोनों ही पार्टियां ज्यादा सक्रिय दिखीं। कांग्रेस ने वोटरों को निकालने में खूब जोर दिखाया। फिर भी मतदान प्रतिशत कम रहा।  

भाजपा का इंदौर में दांव पड़ा उलटा


इंदौर संसदीय सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने के बाद भाजपा प्रत्याशी शंकर लालवानी के सामने कोई मजबूत प्रत्याशी नहीं था। कांग्रेस ने नोटा को लेकर अभियान चलाया। हालांकि, मतदान कराने कांग्रेस ने ज्यादा मेहनत नहीं की। वहीं, भाजपा ने ज्यादा से ज्यादा मतदान कराने का जोर लगाया। इंदौर में अंतिम चरण की आठ सीटों में सबसे कम मतदान दर्ज हुआ। यहां भाजपा अपने ही दांव में फंस गई। कांग्रेस ने मतदान कराने पर बिलकुल जोर नहीं दिया, माना जा रहा है कि उसके कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने तो मतदान किया ही नहीं। इससे इंदौर मतदान में रिकॉर्ड बनाने के बजाए फिसड्डी साबित हुआ।

न मंदिर, न राष्ट्रवाद की दिखी लहर


उधर, राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2024 के चुनाव में कम मतदान का कारण 2019 के समान कोई लहर ना कोई मुद्दा नहीं होना है। पिछली बार राष्ट्रवाद को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया था। इस बार राम मंदिर का मुद्दा भी नहीं चल पाया। यही वजह है कि नेताओं के भाषण के ट्रैक भी चुनाव के प्रत्येक चरण के अनुसार बदलते रहे। पीएम नरेंद्र मोदी खुद नए नए मुद्दों को उछालते रहे। इसमें वे कितना सफल हुए और भाजपा को वोटरों ने कितना पसंद किया, यह तो अब 4 जून को होने वाली मतगणना से ही पता चलेगा।

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