भीषण गर्मी में लू से बचाव एवं उसके उपाय हेतु आवश्यक सुझाव
- ‘‘लू’’ में क्या करें और क्या ना करें
गरियाबंद. ग्रीष्म ऋतु के मौसम में तापमान में वृद्वि के चलते भीषण गर्मी पड़ने तथा नागरिकों को लू लगने की संभावना है। जिससे आम जन जीवन व स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जिसे देखते हुए कलेक्टर श्री दीपक अग्रवाल ने जिले वासियों से आवश्यक सुरक्षात्मक उपाय करने की अपील की है। लू-तापघात से बचाव एवं तैयारी के लिए जिला स्तर पर संयुक्त कलेक्टर श्री नवीन कुमार भगत मोबाइल नं. 8319700683 को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। कलेक्टर ने लू से बचाव के लिए तहसील, ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पंचायत सचिवों, कोटवारों एवं जिला स्तर पर व्यापक प्रचार प्रसार करने के निर्देश दिये है।
कलेक्टर श्री अग्रवाल ने बताया कि जिला अस्पताल सहित समस्त सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्रों के संस्था प्रभारियों को लू से बचाव एवं उपचार हेतु पर्याप्त मात्रा में आवश्यक जीवन रक्षक दवाईयां एवं ओ. आर. एस. की उपलब्धता सुनिश्चित कर मरीजों का उपचार करने को कहा गया है और मैदानी स्वास्थ्य अमलों और मितानिनों के माध्यम से लू लगने के लक्षण, कारण और बचाव के उपायों के संबंध में स्वास्थ्य जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। अगर ओ.आर.एस. न हो तो घर पर ही एक गिलास पानी में एक चम्मच शक्कर व एक चुटकी नमक मिलाकर जीवन रक्षक घोल तैयार किया जा सकता है। गांव में मितानिनों या डिपो होल्डर के पास ओ.आर.एस. और दवाईयां लेकर प्राथमिक उपचार के पश्चात् निकट के स्वास्थ्य केन्द्र या चिकित्सक के पास जाकर मरीज को भर्ती कर उपचार कराना चाहिए।
लू के लक्षण – सिर में भारीपन और दर्द, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का न आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख न लगना व बेहोश होना।
लू से बचाव के उपाय- इसके लिए बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाये। धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध ले। पानी अधिक मात्रा में पिये। अधिक समय तक धूप में न रहे। गर्मी के दौरान मुलायम सूती कपड़े पहने ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस. घोल पिये। चक्कर, उल्टी आने पर छायादार स्थान पर विश्राम करें। शीतल पेय जल पिये, फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिए 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श ले। उल्टी, सर दर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ले।
लू लगने पर किया जाने वाला प्रारंभिक उपचार – बुखार से पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगायें, कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लेटायें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सा केन्द्र में उपचार हेतु ले जायें, आंगनबाड़ी मितानिन तथा ए.एन.एम. से ओ.आर.एस. की पैकेट के लिए संपर्क करें।
क्या करें – भीषण गर्मी में लू से बचाव हेतु पर्याप्त पानी पीये भले ही प्यास न लगे, मिर्गी या हृदय, गुर्दे या लीवर से संभावित रोग वाले जो तरल प्रतिबंधित आहार लेते हो या जिनको द्रव्य प्रतिधारण की समस्या है, उनको तरल सेवन बढ़ाने से पहले डॉक्टर से परामर्श ले। हल्के रंग के, ढीले सूती कपड़े पहने, अपने आप को हाइड्रेटेड रखने के लिए ओआरएस घोल, घर के बने पेय जैसे- लस्सी, नींबू का पानी, छाछ आदि का सेवन करें।
क्या न करें- धूप में बाहर जाने से बचे, नंगे पाँव बाहर न जाए, दोपहर के समय खाना पकाने से बचे, शराब, चाय, कॉफी और कार्बोनेटेड शीतल पेय से बचे, ये शरीर को निर्जलित करते हैं। अधिक प्रोटीन वाले भोजन से बचे। बीमार होने पर बाहर धूप में न जाए, घर पर रहे।
सावधानियां- जितना हो सके घर के अंदर रहे, अपने घर को ठंडा रखे, पंखों का उपयोग करें, कपड़ों का नम करें और अधिक गर्मी में ठंडे पानी में ही स्नान करे। यदि बीमार महसूस करते है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाये। जानवरों को छाया में रखे और पीने के लिए भरपूर पानी दे।