मॉब लिंचिंग मामले में जुड़ेगी और धाराएं! मुस्लिम समाज ने DGP से की मुलाकात, जाने क्या कहा …
भिलाई। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के आरंग थाना क्षेत्र में हुई मॉब लिचिंग (भीड़ हत्या) की घटना को लेकर रायपुर, दुर्ग-भिलाई सहित समूचे छत्तीसगढ़ के मुस्लिम समाज का प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को डीजीपी अशोक जुनेजा से मिला। एक दिन पूर्व ही समाज की ओर से प्रदेश के गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा गया था। इसी के मद्देनजर डीजीपी ने इन सभी को मुलाकात के लिए पुलिस मुख्यालय आमंत्रित किया था।
डीजीपी अशोक जुनेजा से मुलाकात के मौके पर इस प्रतिनिशिमण्डल ने उन्हें ज्ञापन सौंपा और इस मामले में आरोपियों के विरूद्ध त्वरित कार्यवाही करते हुए मृतकों के आश्रितों और आहत को मुआवजा प्रदान करने तथा राज्य में इस प्रकार की घटना पर रोक लगाए जाने के संबंध में मांग की गई।
इस मुलाकात के दौरान डीजीपी ने मुस्लिम समाज के प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि वे इस मामले में जिले के एसपी और आईजी को तलब कर मामले में जल्द से जल्द कार्रवाई करते हुए आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए निर्देश देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मामले में कई अन्य धाराएं नहीं लगाने का जो आरोप लग रहा है, उसके मद्देनजर घटना की समीक्षा कर दूसरी धाराएं जोड़ने के लिए भी दिशा-निर्देश देंगे। गौरतलब है कि 07 जून को रात्रि लगभग 3:00 बजे रायपुर जिले के अंतर्गत पुलिस थाना आरंग क्षेत्र में स्थित महानदी पुल के पास तथाकथित गौरक्षकों द्वारा सहारनपुर उत्तरप्रदेश के तीन मुस्लिम युवक चाँद खान, गुड्डू खान, और सद्दाम खान को ट्रक लेकर उड़ीसा जाते समय घेर लिया गया और गौवंश तस्करी का आरोप लगाते हुए उन्हें अमानवीय ढंग से मारपीट करके पुल के नीचे फेंक दिया गया। परिणामस्वरूप चाँद खान और गुड्डू खान की मृत्यु हो गई तथा सद्दाम खान का उपचार चल रहा है। जिसकी हालत काफी गंभीर है।
मुस्लिम समाज के ज्ञापन में कहा गया है कि हथियार लाठी डंडे से मारकर चाँद खान एंव गुड्डू खान की मृत्यु कारित की गई और घायल सद्दाम को चोट पहुंचाया गया। इस मामले में पुलिस को धारा 302, 307, 147, 148, 149 भारतीय दंड विधान के तहत जुर्म दर्ज किया जाना था, मगर घटना के संबंध मे रायपुर और महासमुंद पुलिस द्वारा जानकारी मिलने के बाद लापरवाही बरती गई है। यद्दपि रायपुर पुलिस अधीक्षक ने विशेष दल से जांच कराने की बात कही है, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। कथित पशु तस्करी के मामले में लिप्त लोगों के खिलाफ पुलिस से कार्यवाही कराने की बजाय असामाजिक तत्वों द्वारा स्वयं कानून को हाथ में लेकर उनकी हत्या कर दी गई। ऐसे में पुलिस और कानून से न सिर्फ मुस्लिम समाज का बल्कि आम जनता का विश्वास खत्म होता है और असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद होते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने डीजीपी से अनुरोध किया है कि वे पुलिस को निर्देश दें कि बगैर पक्षपात के नियमानुसार हत्यारों के खिलाफ कार्यवाही कर इस मामले के आरोपिये को सजा दिलाये।
मुस्लिम समाज के इस प्रतिनिधिमंडल में अकरम सिद्दीकी, नोअमान अकरम, मोहम्मद ताहिर, हकीम रजा, आस मोहम्मद, वाशिद खान, जमील खान और जावेद सहित छत्तीसगढ मुस्लिम समाज के भिलाई दुर्ग बिलासपुर अंबिकापुर जगदलपुर रायगढ़ सहित अन्य जिलों से आए हुए समाज प्रमुख शामिल थे।