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मोदी ने गुयाना को दिया, लोकतंत्र प्रथम—मानवता प्रथम” का मंत्र

जॉर्जटाउन. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुयाना को मौजूदा विश्व में आगे बढ़ने के लिये “लोकतंत्र प्रथम—मानवता प्रथम” का मंत्र देते हुए कहा कि इससे सबको साथ लेकर सबका विकास करते हुए मानवता का हित करना संभव होता है।
श्री मोदीे गुयाना की संसद के एक विशेष अधिवेशन को संबोधित करते हुए यह मंत्र दिया। इस मौके पर संसद के अध्यक्ष मंजूर नादिर, उप राष्ट्रपति भरत जगदेव, प्रधानमंत्री मार्क एंथनी फिलिप्स, नेता प्रतिपक्ष, चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी भी उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नयी वैश्विक व्यवस्था की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-“लोकतंत्र प्रथम—मानवता प्रथम”। “लोकतंत्र प्रथम” की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। “मानवता प्रथम” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम मानवता प्रथम को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि हमारी लोकतांत्रिक मूल्य इतने मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक समावेशी समाज के निर्माण में लोकतंत्र से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, लोकतंत्र हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि लोकतंत्र सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि लोकतंत्र हमारे डीएनए में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी मानव केन्द्रित कार्यशैली,हमें सिखाती है कि हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य’ का संदेश दिया। जब जलवायु से जुड़ी चुनौतियों में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने सीडीआरआई यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रेज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर की पहल शुरू की। जब दुनिया में पृथ्वी प्रेमी लोगों का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन लाइफ जैसा एक वैश्विक आंदोलन शुरु किया।
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र प्रथम—मानवता प्रथम” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका।”
श्री मोदी ने कहा कि दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम संसाधनों पर कब्जे की, संसाधनों को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मैं मानता हूं, अंतरिक्ष हो, समुद्र हो, ये सार्वभौमिक टकराव के नहीं बल्कि सार्वभौमिक सहयोग के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय, टकराव का नहीं है, ये समय, टकराव पैदा करने वाले कारणों को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज आतंकवाद, ड्रग्स, साइबर अपराध, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम लोकतंत्र प्रथम मानवता प्रथम को केन्द्रीय स्थान देंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने हमेशा सिद्धांतों के आधार पर, भरोसे और पारदर्शिता के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी क्षेत्र पीछे रह गया, तो हमारे वैश्विक लक्ष्य कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – ​हर देश महत्वपूर्ण है! इसलिए भारत, द्वीपीय देशों को छोटे द्वीपीय देश नहीं बल्कि बड़े महासागरीय देश मानता है। इसी भाव के तहत हमने हिन्द महासागर से जुड़े द्वीपीय देशों के लिए सागर प्लेटफॉर्म बनाया। हमने प्रशांत महासागर के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।
उन्होंने कहा कि आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास और शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज जलवायु परिवर्तन की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।
उन्होंने कहा, “भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों के नवजागरण का समय है। ये समय हमें एक अवसर दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नयी वैश्विक व्यवस्था बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां अनेक महिला सदस्य मौजूद हैं। दुनिया के भविष्य को, भावी प्रगति को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा कारक दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को वैश्विक वृद्धि में योगदान करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है। लेकिन 21 वीं सदी में, वैश्विक समृद्धि सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, भारत ने महिला नीत विकास को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।
उन्होंने कहा कि भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, नेतृत्वकारी भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 प्रतिशत महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 फीसदी महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग, गणित यानि स्टैम स्नातक में 30-35 प्रतिशत ही महिलाएं हैं। भारत में ये संख्या 40 प्रतिशत से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े अंतरिक्ष मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं।
उन्होंने कहा, “आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी संसद में महिलाओं को आरक्षण देने का भी कानून बनाया है। आज भारत में लोकतांत्रिक शासन के अलग-अलग स्तर पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां स्थानीय स्तर पर पंचायती राज है, स्थानीय निकाय हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा निर्वाचित प्रतिनिधि महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं स्थानीय शासन में प्रतिनिधित्व कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि गुयाना लैटिन अमेरिका के विशाल महाद्वीप का द्वार है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक सेतु बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और कैरिकॉम की साझीदारी को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में भारत कैरिकॉम शिखर सम्मेलन का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझीदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।
उन्होंने कहा कि गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के बुनियादी ढांचे में निवेश हो, यहां की क्षमता निर्माण में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई फेरी हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। नवीकरणीय उर्जा के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए। उन्होंने कहा कि हमारी विकास साझीदारी अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की उर्जा मांग तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने स्रोतों का विविधीकरण भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण उर्जा स्रोत के रूप में देख रहे हैं। हमारे कारोबार, गयाना में और अधिक निवेश करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

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