राजधानी रायपुर में मिशन अहले बैत छत्तीसगढ़ स्कूल बनायेगा, हुज़ूर मुजाहिद ए इस्लाम सैय्यद आलमगीर अशरफ़ साहब का बड़ा एलान
मिशन अहले बैत 36 गढ़ द्वारा स्थानीय ऑरेंज आई रेसॉर्ट, डूमरतराई, रायपुर में आयोजित समाजसेवी संस्थाओं के सम्मान समारोह में पैगम्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद स. अ. व. के वंशज और मिशन अहले बैत के संस्थापक सरपरस्त हुज़ूर मुजाहिद ए इस्लाम सैय्यद आलमगीर अशरफ़ साहब ने तालीम की अहमियत पर ज़ोर देते हुए हर फ़र्द तक इल्म की रौशनी फैलाने की ज़िम्मेदारों के तहत सी बी एस ई पैटर्न में इस्लामिक तर्ज़ पर के जी से पांचवी क्लास तक सर्वसुविधा युक्त स्कूल निर्माण करने का एलान किया।
हज़रत मुजाहिद ए इस्लाम ने इसकी ज़िम्मेदारी मिशन अहले बैत के अध्यक्ष अरशद खान अशरफी को देते हुए कहा कि हर मेम्बर की ये अहम ज़िम्मेदारी है कि वो इसपर ज़्यादा से ज़्यादा तवज्जोह दें ताकि पढ़ लिख कर मुस्तक़बिल मे हर बच्चा अपने वतन की तरक़्क़ी में अहम रोल अदा करने के क़ाबिल बन सके। अहले बैत का तआल्लुक सीधे तौर पर मौला ए क़ायनात हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम से है जिन्हें हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इल्म के शहर का दरवाज़ा बनाया है ऐसे में मिशन अहले बैत की अहम ज़िम्मेदारी हो जाती है कि जलसा जुलूस करने के साथ तालीम के सामान जिसकी ज़रूरत हर हर इंसान को है, मुहैय्या करवाए।
मिशन के कयाम का मकसद सिर्फ जलसा जुलूस तक ही सीमित न रहे बल्कि अपने पैग़म्बर, आपके अहले बैत, असहाब और सूफिया ए केराम की तालीमात और अख़लाक़ी किरदार को अपनाते हुए उसपे अमल करने की ज़रूरत है, किस तरह हमारे सूफिया ने ग़ैरो के दिलों मे अपनी जगह बनाई उसकी बड़ी वजह रही कि उन्होंने ने कभी नफरत से काम नहीं लिया बल्कि मोहब्बत से और अपने किरदार से उन सभी के दिलों को जीता है। हम सबको उसी अख़लाक़ और किरदार को अपनाने की जरूरत है। क्योंकि नफरत को कभी नफरत से और बुराई को कभी बुराई से नहीं खत्म किया जा सकता अगर खत्म किया जा सकता है तो उसका एक ही हथियार है वो सिर्फ मोहब्बत है और यही सुफ़िया ए केराम तरीका भी है।
मस्जिदों के इमाम, ओलमा ए केराम और मुतवल्लीयों की मौजूदगी में शहर की 35 से ज़्यादा समाजसेवी संस्थाओं को प्रतीक चिन्ह एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया।
मिशन अहले बैत 36 गढ़ के क़ायद सैय्यद मोहम्मद अशरफ अशरफी अल जिलानी किछौछवीं सुम्मा रायपुरी व सदर अरशद खान अशरफी के साथ जनरल सेक्रेटरी हाजी नईम रिज़वी अशरफी,जी डी नियाज़ी, अय्यूब दानी अशरफ़ी, अवेश अशरफ़ी (साबु), कबीर अशरफ़ी, अजीजुल रहमान, कमरुद्दीन अशरफी, सगीर अहमद, राहेल अशरफी ( पिंटू), समीर अशरफी, हसन अशरफी, सलीम अशरफी चिश्ती के अलावा बड़ी तादाद में बुज़ुर्ग व नवजवान शामिल हुए