गिरफ्तारी से बचने के लिए मद्रास हाईकोर्ट पहुंचे कुणाल कामरा, शिंदे पर पैरोडी को लेकर दर्ज है केस

चेन्नई. स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर में ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। कामरा पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को निशाना साधने वाले एक पैरोडी गीत के चलते मामला दर्ज है। यह जीरो एफआईआर शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर दर्ज की गई थी, जिसे बाद में मुंबई के खार पुलिस थाने में ट्रांसफर कर दिया गया। एफआईआर में भारत न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(1)(b), 353(2) (सार्वजनिक उपद्रव) और 356(2) (मानहानि) के तहत आरोप लगाए गए हैं। कामरा ने अदालत में दलील दी कि वह तमिलनाडु के विलुप्पुरम के स्थायी निवासी हैं, इसलिए उन्होंने ट्रांजिट अग्रिम जमानत की याचिका दाखिल की है। इससे पहले, मुंबई पुलिस ने कामरा को 31 मार्च को पेश होने के लिए नोटिस भेजा था। उन्हें मंगलवार को पेश होना था, लेकिन उन्होंने सात दिन का समय मांगा है।
जीरो एफआईआर एक ऐसी प्राथमिकी होती है, जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, भले ही अपराध उस थाने के क्षेत्र में न हुआ हो। इसे “जीरो” इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे शुरू में बिना नंबर के दर्ज किया जाता है और बाद में संबंधित थाने को ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसका मकसद त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
वहीं ट्रांजिट अग्रिम जमानत की बात करें, तो यह एक कानूनी उपाय है, जिसमें कोई व्यक्ति उस राज्य के कोर्ट से अग्रिम जमानत मांगता है जहां वह मौजूद है, ताकि किसी अन्य राज्य में दर्ज मामले में गिरफ्तारी से बचा जा सके। यह तब उपयोगी होती है जब व्यक्ति को लगता है कि यात्रा के दौरान उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
यह विवाद खार के हैबिटेट कॉमेडी क्लब में हालिया शो से उपजा है, जहां उन्होंने एकनाथ शिंदे को निशाना बनाते हुए अपने शो ‘नया भारत’ में एक पैरोडी गीत गाया था। इस पैरोडी में 1997 की बॉलीवुड फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक लोकप्रिय गाने को आधार बनाकर एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा गया। कामरा ने बिना नाम लिए शिंदे को ‘गद्दार’ कहकर व्यंग्य किया, जो 2022 में शिवसेना से उनकी बगावत और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (MVA) सरकार को गिराने के संदर्भ में था। इस शो का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने खार के हबीटेट स्टूडियो में तोड़फोड़ की, जहां यह शो रिकॉर्ड किया गया था।
इस घटना के बाद, शिवसेना विधायक मुरजी पटेल की शिकायत पर मुंबई पुलिस ने कामरा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस ने उन्हें पूछताछ के लिए दो बार समन जारी किया, लेकिन कामरा ने अभी तक पेश होने में असमर्थता जताई है। इसके साथ ही, कामरा ने दावा किया है कि उन्हें 500 से अधिक धमकी भरे कॉल आए हैं, जिसमें कुछ लोगों ने उन्हें जान से मारने और “टुकड़े-टुकड़े” करने की धमकी दी है। इन परिस्थितियों के चलते, कामरा ने मद्रास हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने कहा कि वह वर्तमान में पॉन्डिचेरी में हैं और मुंबई में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं
कुणाल कामरा ने इस मामले में माफी मांगने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, “मैंने जो कहा, वह वही है जो महाराष्ट्र के पहले उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के बारे में कहा था। मैं माफी नहीं मांगूंगा, लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन करूंगा।” कामरा के इस बयान ने विवाद को और हवा दी, जिसके बाद शिवसेना नेताओं ने उन्हें “शिवसेना स्टाइल” में सबक सिखाने की चेतावनी दी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कामरा की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कहा कि यह “स्वतंत्रता की आड़ में अपमान” है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा, “हमें व्यंग्य समझ में आता है, लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है।” दूसरी ओर, शिवसेना (शिंदे गुट) के कार्यकर्ताओं ने हबीटेट स्टूडियो में तोड़फोड़ के बाद वहां मौजूद एक अन्य शो को भी बाधित किया। इस घटना में शामिल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें शिवसेना के सोशल मीडिया प्रभारी राहुल कनाल भी शामिल थे, हालांकि उन्हें बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे ने कामरा का समर्थन करते हुए कहा, “कुणाल ने कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने जनता की भावनाओं को आवाज दी और सच कहा।” कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस घटना की निंदा की और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया। कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने महायुति सरकार पर “तालिबानी शासन” का आरोप लगाया।