मात्र तीन दिन तीन खुराक खाएं और अस्थमा पूरी तरह से छू मंतर – प्रेमा साई महाराज
00 धीरेंद्र शास्त्री व प्रेमा साई में एक ही शक्ति, अंतर सिर्फ बालाजी व माँ मातंगी का
00 17 को लगेगा प्रेमा साई का दिव्य दरबार ग्राम बीरेझर में
रायपुर। भारत के साथ विदेशों में भी अस्थमा के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे है क्योंकि अभी तक कहीं पर भी इस रोग को रोकने के लिए दवा नहीं बन पाई है मात्र इनहिलर या दीर्घकालिक नियंत्रण दवा ही इससे बचने का एकमात्र उपाय है। लेकिन इसका इलाज पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 प्रेमा साई महाराज के पास है उनके द्वारा दिए तीन खुराक को मात्र तीन दिन खाना है और जीवन भर के लिए अस्थमा खत्म हो जाएगा। इसे वे कुछ सालों बाद मेडिकल ऑफ काउंसिल में पैटर्न कराएंगे और एक समय बाद भारत सरकार को सौंप देंगे ताकि इस बीमारी से पीडि़त लोगों का इलाज सहजता से हो सकें।
17 मार्च से जी जामगांव के ग्राम बीरेझर के पास स्थित त्रिकालदर्शी माँ मातंगी दिव्य धाम पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 प्रेमा साई महाराज का दिव्य दरबार लगने वाला है जिसमें भारत के लोग तो बड़ी संख्या में पहुंचते ही है विदेशों से भी लोग चमत्कार देखने के लिए आते हैं। प्रेमा साई महाराज की खास बात यह है कि वह समस्या ही नहीं बताते है बल्कि उस समाधान का समाधान भी बताते है। 17 को लगने वाले दिव्य दरबार के संबंध में प्रेमा साई महाराज पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि बागेश्वरधाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री और उनमें एक ही शक्ति हैं, वह बालाजी भगवान और वह माँ मातंगी के भक्त है, दोनों चिट्ठी के माध्यम से लोगों की समस्याएं बताते है तथा सनातन धर्म के लिए काम कर रहे है। मैं कोई चत्मकारी बाबा नहीं हूं, माँ मातंगी का बीज मंत्र है उससे बड़ा कोई मंत्र हैं। भूत-प्रेत से बचने के लिए हम भगवान हनुमान को याद करते हैं, धन के लिए माँ लक्ष्मी व बेटा व बेटी की प्राप्ति के लिए भगवान शंकर को लेकिन अगर तुम माँ मातंगी को एक बार पूज लोगे तो यह सब कुछ भी तुम्हें प्राप्त हो जाएगा और बाधा भी दूर हो जाएगी। वह मंत्र है ऊ ऐम हट हिल किम माँ मातंगी फट स्वाह…। तंत्र अलग विषय है और मंत्र लग है लेकिन इनमें सबसे बड़ा मंत्र है। मंत्र क्या है जिसमें जड़ी-बुटियों का उपयोग किया जाता है और मंत्र यह है जो हमें गुरु द्वारा दिया जाता है।
उन्होने कहा कि लोगों में पे्रत तो लगता है यह झूठी बात नहीं है लेकिन वह भी अपनी समस्याओ को दूर करने के लिए यहां आ सकते हैं। प्रेत इसलिए लगता है क्योंकि वह परेशान होता है, यह दिव्य दरबार हर महीने लगता है और इसमें वह आते भी है। उन्होने कहा कि इस मंदिर में घंटी इसलिए बांधा जाता है क्योंकि माँ मातंगी से वे मनोकामना करते है और माँ मातंगी उनकी समस्याओं का हल भी करते है। यहां घंटी बांधने से उनके घर में कभी तंत्र बाधा या आकाल मृत्यु नहीं होती है।