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‘अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस’ आज, जानिए क्यों पड़ी इसे मनाने की जरूरत, ऐसे हुयी है शुरुआत

‘अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस’ इस दिन, जानिए आखिर इस विशेष दिन के मनाए जाने की वजह और इसका इतिहास

पूरी दुनिया में आज ‘अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस’ (International Equal Pay Day 2024) मनाया जा रहा है। इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य समाज के सभी वर्गो के लिए समान वेतन तथा लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, दुनिया के अधिकतर देशों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम वेतन मिलता है। अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने का उद्देश्य इसे खत्म करना है। ऐसे में आज ‘अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस’ (International Equal Pay Day 2024) के अवसर पर आइए जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें-

‘अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस’ का इतिहास

जानकारों के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 नवंबर 2019 को पहली बार 18 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस मनाने की घोषणा की थी। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र के दौरान यह फैसला लिया गया। संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव 105 सदस्य देशों द्वारा सह-प्रायोजित था। उसके बाद सदस्य देशों की सर्व सम्मति के बाद इसे मनाने का यह फैसला लिया गया। उसके बाद से यह हर साल 18 सितंबर को मनाया जाने लगा।

भारत जैसे देश में, लिंग के आधार पर वेतन में अंतर के कारण थोड़े अधिक जटिल हैं और इसे सामाजिक आर्थिक से लेकर संरचनात्मक कारणों से जोड़ा जा सकता है।

बालिकाओं को कभी-कभी स्कूलों से बाहर रखा जाता है या उन्हें जल्दी स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है।

यदि महिलाएं शिक्षित हैं, तो भी कई महिलाओं को उनके परिवारों द्वारा काम करने की अनुमति नहीं है।

जो महिलाएं काम कर भी रहीं हैं उन्हें अक्सर मातृत्व और बच्चे की देखभाल, यहां तक कि घर के दूसरे सदस्यों के लिए भी छुट्टियां लेनी पड़ती है।

जैसा कि आप जानते हैं कि पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं को कमतर आंका जाता है। हालांकि, आज की तारीख में महिलाएं किसी से कम नहीं है। हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम फहराया है। इसके लिए न केवल महिला, बल्कि समाज के सभी वर्गों के लोगों को एक सामान अधिकार और एक समान वेतन मिलना चाहिए। इससे समस्त समाज का कल्याण होगा। आम लोगों को भी जागरुक होने की जरूरत है। इससे समाज में व्याप्त अंतर कम होगा।

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक आज भी पुरुषों और महिलाओं के बीच भेदभाव को पूरी तरह खत्म करने में 257 साल लग सकते हैं। विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने कहा था कि महिलाओं को पुरुषों के बराबर भुगतान मिलने में अभी भी 100 साल लगेंगे।

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