भारत ने पाकिस्तान को थमाया आधिकारिक लेटर; तत्काल प्रभाव से रोका जाएगा पानी

नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। गुरूवार को देर रात भारत ने आधिकारिक लेटर भेजकर पाकिस्तान को इसकी जानकारी दी। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय के सचिव मुर्तजा को पत्र भेजा है।
देबाश्री मुखर्जी द्वारा भेजे गए पत्र में लिखा गया है कि सिंधु जल संधि अच्छे संदर्भ में की गई थी, लेकिन अच्छे रिश्तों के बिना इसे नहीं बनाए रखा जा सकता। इस आधिकारिक पत्र के बाद सिंधु जल समझौता 65 साल बाद स्थगित हो गया है।
भारत सरकार की तरफ से पाकिस्तान सरकार को भेजे गए पत्र में संधि के अनुच्छेद XII (3) के तहत सिंधु जल संधि 1960 में संशोधन की मांग की गई है। इस लेटर में उन मुद्दों का हवाला दिया गया है जिसके चलते समझौते पर दोबारा विचार करने की आवश्यकता है।
संधि के बाद से अब तक जनसंख्या में काफी बदलाव हुआ है। ऐसे में क्लीन एनर्जी डेवलेपमेंट में तेजी लाने के लिए कुछ बदलाव करने जरूरी हो जाते हैं। किसी भी समझौते में सबसे जरूरी होता है कि उस संधि का सम्मान किया जाए। इसके बजाय पाकिस्तान की तरफ से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को निशाना बनाकर सीमा पार आतंकवाद जारी है।
सुरक्षा से जुड़ी अनिश्चितताओं ने संधि के तहत भारत के अपने अधिकारों को बाधित किया है। इसके अलावा भारत के अनुरोध पर पाकिस्तान ने कोई रिएक्शन नहीं दिया। इस प्रकार उसने संधि का उल्लंघन किया है। इसलिए भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि सिंधु जल संधि 1960 को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाता है। बता दें कि भारत सरकार की तरफ से सिंधु जल संधि तोड़ने का फैसला पहलगाम में आतंकी हमले के बाद लिया गया है। इस हमल में 27 लोगों की मौत हो गई थी।
सिंधु जल संधि भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद दोनों देशों की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। 19 सितंबर 1960 को तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत छह नदियों ब्यास, रावी, सतलुज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी के इस्तेमाल के नियम तय किए गए थे।
इस समझौते के तहत पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों चिनाब, झेलम और सिंधु का 80 प्रतिशत पानी मिलता है। जबकि भारत को सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का 80 प्रतिशत पानी मिलता है।