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सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को 10वें दिन डिनर में क्या-क्या परोसा

उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल में फंसे 41 श्रमिकों को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। मजदूरों के रेस्क्यू के लिए चल रहा अभियान के दसवें दिन बचाव दल ने मंगलवार को इन मजदूरों को डिनर में वेज पुलाव, मटर पनीर और मक्खन लगी चपाती जैसा ठोस खाना दिया गया। यह सारा खाना सोमवार शाम को सुरंग के अंदर डाले गए 6 इंच चौड़े पाइप के माध्यम से अंदर फंसे हुए श्रमिकों तक भेजा गया।

स्थानीय होटल में काम करने वाले रसोइया संजीत राणा ने बताया कि हमने अंदर फंसे मजदूरों के लिए डिनर में डॉक्टर की निगरानी में कम तेल और मसालों के साथ वेज पुलाव, मटर पनीर और बटर चपाती तैयार की है, ताकि यह आसानी से पच सके। हमने भोजन को पर्याप्त मात्रा में पैक किया है।

इससे पहले, मंगलवार को राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) के डायरेक्टर अंशू मनीष खुल्को ने कहा था कि खिचड़ी और दलिया जैसे गर्म भोजन को 6 इंच के पाइप के माध्यम से बेलनाकार प्लास्टिक की बोतलों में वितरित नहीं किया जा सकता है क्योंकि अंदर कुछ फंस गया है। खुल्को ने कहा, “लेकिन अब हमने पाइप साफ कर दिया है।” उन्होंने कहा कि आज दिन में इन मजदूरों को संतरे, केले और दवाइयों जैसे फलों की आपूर्ति की गई।

फंसे हुए मजदूरों के लिए खाना तैयार करने वाले होटल के मालिक अभिषेक रमोला ने बताया कि मंगलवार को रात के खाने के लिए लगभग 150 पैकेट तैयार किए गए थे। रमोला ने कहा कि हमने अंदर फंसे लोगों के लिए खाना बनाया है। हमने आज चावल और पनीर तैयार किया। हमने उनके लिए लगभग 150 पैकेट तैयार किए। सभी चीजें डॉक्टर की देखरेख में पकाई गईं। उन्हें आसानी से पचने वाला भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। 

इससे पहले दिन में, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) सैयद अता हसनैन ने कहा कि सिलक्यारा टनल में फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास पांच तरफ से चल रहे हैं, लेकिन सबसे अच्छा संभव तरीका ऑगर मशीन द्वारा वर्टिकल ड्रिलिंग है। बचाव योजना के अनुसार, फंसे हुए श्रमिकों के लिए निकलने का मार्ग बनाने के लिए वर्टिकल ड्रिलिंग उपकरण का उपयोग करके 900 मिमी पाइप डाले जाएंगे।

बता दें कि, सिलक्यारा से बरकोट तक निर्माणाधीन सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को धंस गया था, जिससे सुरंग के सिलक्यारा किनारे के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए हैं। एनडीएमए अधिकारी ने कहा कि 12 नवंबर को सुरंग का एक हिस्सा धंस गया, जिससे सुरंग के 2 किमी लंबे हिस्से में मजदूर फंस गए। उन्होंने कहा कि सुरंग का बड़कोट वाला हिस्सा पहले से ही बंद है क्योंकि उस हिस्से पर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।

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