आईसीआरआईएसएटी ने भूमि क्षरण से निपटने के लिए चौदह देशों के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया
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हैदराबाद . अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) ने भूमि क्षरण से निपटने के लिए चौदह देशों के अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है।
आईसीआरआईएसएटी में भूमि क्षरण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को मजबूत करते हुए यहां अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए भूमि क्षरण संसाधन संरक्षण पर तीन सप्ताह का अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
इस कार्यक्रम में 14 देशों घाना, ताजिकिस्तान, दक्षिण सूडान, म्यांमार, मोरक्को, इथियोपिया, कंबोडिया, लाइबेरिया, माली, चाड, श्रीलंका, लेसोथो, ईरान और फिलीपींस के 24 अधिकारियों ने भाग लिया।
संस्थान ने शुक्रवार को यहां एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी।
विज्ञप्ति में भारत सरकार के भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के तत्वावधान में आईसीआरआईएसएटी द्वारा आयोजित और आईसीआरआईएसएटी की ड्राईलैंड अकादमी द्वारा समर्थित इस कार्यक्रम ने वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
आईसीआरआईएसएटी के महानिदेशक-अंतरिम डॉ स्टैनफोर्ड ब्लेड ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए दो-तरफ़ा ज्ञान विनिमय के महत्व पर प्रकाश डाला और कार्यशाला से परे निरंतर सहयोग को प्रोत्साहित किया।
डॉ ब्लेड ने जोर देकर कहा, ‘यह प्रशिक्षण केवल एक अकादमिक अभ्यास नहीं है; यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग की भावना को दर्शाता है। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप जुड़े रहें और सार्थक बदलाव लाने के लिए इस संसाधन आधार का उपयोग करें।’
उन्होंने कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के लिए भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के समर्थन को भी स्वीकार किया।
कार्यक्रम में बोलते हुए डॉ एमएल जाट, उप महानिदेशक-अनुसंधान (कार्यवाहक) और ग्लोबल प्रोग्राम डायरेक्टर, रेसिलिएंट फ़ार्म एंड फ़ूड सिस्टम्स, आईसीआरआईएसएटी ने कहा, ‘जब आप अपने देशों में वापस लौटते हैं तो विचार करें कि आप अपने समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए इन अंतर्दृष्टि को कैसे लागू कर सकते हैं। हम आपकी भागीदारी को प्रायोजित करने में आपकी सरकारों और संस्थानों के समर्थन की गहराई से सराहना करते हैं।’
उद्घाटन सत्र में डॉ रमेश सिंह, प्रधान वैज्ञानिक और क्लस्टर लीड-आईसीआरआईएसएटी विकास केंद्र ने पाठ्यक्रम का अवलोकन प्रदान किया जबकि आईसीआरआईएसएटी के वैश्विक अनुसंधान कार्यक्रम निदेशक, डॉ सीन मेयस और डॉ विक्टर अफ़ारी-सेफा ने वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में सहयोगी अनुसंधान की भूमिका पर जोर दिया।
ईरान के सेमनान कृषि एवं प्राकृतिक संसाधन अनुसंधान एवं शिक्षा केंद्र में वन रेंजलैंड विभाग के प्रमुख डॉ. सोमयाह नासेरी ने कहा, ‘आईसीआरआईएसएटी की प्रयोगशालाएं उत्कृष्ट हैं और वैज्ञानिकों द्वारा किया जा रहा कार्य प्रभावशाली है।’
नोम पेन्ह, कंबोडिया में कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन मंत्रालय के अधिकारी चुमन इथ ने कहा ‘भारत कंबोडिया के समान जलवायु परिवर्तन प्रभावों का सामना कर रहा है। देश में उन्नत प्रौद्योगिकी है और उल्लेखनीय अनुसंधान प्रगति हासिल की है। मैंने यहां जो ज्ञान प्राप्त किया है उसे कंबोडिया में अनुसंधान और नीति दोनों में लागू किया जा सकता है।’