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कैसे भट्टी बन गई दिल्ली, मुंगेशपुर में 52 तो राजघाट पर 45 डिग्री सेल्सियस क्यों

नई दिल्ली. का इंतजार है, लेकिन इससे पहले ही गर्मी अपना भीषण रूप दिखा रही है। इसका ताजा उदाहरण दिल्ली का मुंगेशपुर क्षेत्र है, जहां बुधवार को पारा 52 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा दर्ज किया गया था। खास बात है कि ठीक उसी दिन राजघाट और लोधी रोड समेत दिल्ली के कुछ ऐसे इलाके भी थे, जहां तापमान कम से कम 6-7 डिग्री सेल्सियस कम था। अब सवाल है कि आखिर एक ही शहर में तापमान में इतना अंतर कैसे आ सकता है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में ही अलग-अलग स्थानों पर कई ऑब्जर्वेटरी और ऑटोमैटिक वेदर स्टेशन हैं। यहां एक भी ऐसा स्टेशन नहीं है, जो पूरे दिल्ली का औसत तापमान बता सके। यहां पालम, लोधी रोड, रिज, आयानगर, जफरपुर, मुंगेशपुर, नजफगढ़, नरेला, पीतमपुरा, पुसा, मयूर विहार और राजघाट में तापमान दर्ज किए जाते हैं।

इसके अलावा मोबाइल फोन में मौसम की ऐप्स भी नजदीकी स्टेशन का तापमान बताती हैं, जो जरूरी नहीं कि IMD यानी भारत मौसम विज्ञान विभाग का आधिकारिक डेटा हो।

रिपोर्ट के अनुसार, किसी भी एक क्षेत्र का तापमान की वजह मौसम ही होता है, लेकिन इसमें कई और फैक्टर्स भी बड़ी भूमिका निभाते हैं। इनमें पेवमेंट्स, बिल्डिंग, सड़कें और पार्किंग लॉट भी शामिल हैं। आमतौर पर कठोर और शुष्क सतहों से कम छाया और नमी मिलती है, जिसके चलते तापमान में इजाफा देखने को मिल सकता है। खास बात है कि कॉन्क्रीट जैसे मटेरियल का इस्तेमाल भी तापमान में इजाफे की वजह हो सकते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, भवनों को किस तरह से बनाया गया और उनके बीच की दूरी भी एक वजह हो सकती है। घनी इमारतों वाला इलाके से गर्मी आसानी से बाहर नहीं निकल पाती। वहीं, पतली सड़कें, ऊंची इमारतें हवाओं को बहाव को रोकती हैं। साथ ही एसी का भारी इस्तेमाल भी स्थानीय तापमान को बढ़ाने में योगदान दे सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, ये फैक्टर मिलकर किसी स्थान पर ‘अर्बन हीट आइलैंड्स’ तैयार कर देते हैं। अब इन आइलैंड्स पर अन्य इलाकों के मुकाबले तापमान ज्यादा हो सकता है।

साथ ही जिन इलाकों में पेड़ पौधे जैसी चीजें नहीं हैं, तो वहां अर्बन हीट आइलैंड बनने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

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