हमर छत्तीसगढ़

गेवरा को मिली 700 लाख टन की मंजूरी, बनेगी एशिया की सबसे बड़ी खदान

कोरबा। मंत्रालय द्वारा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से लगातार समन्वय बनाकर रिकार्ड समय में गेवरा परियोजना को पर्यावरण स्वीकृति दिलाने में मदद की, जो कि राष्ट्र की ऊर्जा आकांक्षाओं की पूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देगी।

यहां बताना होगा कि गेवरा खदान एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट्स में से एक है और पिछले वित्त वर्ष 22-23 में 525 लाख टन कोयला उत्पादन के साथ ही देश की सबसे बड़ी कोयला खदान बनने का गौरव हासिल किया है। खदान 40 से अधिक वर्षों से देश की ऊर्जा सुरक्षा में अपना योगदान दे रही है। खदान की स्ट्राइक लंबाई लगभग 10 किलोमीटर और चौड़ाई चार किलोमीटर है। खदान में सरफेस माइनर, रिपर माइनिंग के रूप में पर्यावरण- अनुकूल ब्लास्ट- रहित खनन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। खदान में ओवरबर्डन हटाने के लिए 42 क्यूबिक मीटर सावेल और 240 टन डंपर जैसी उच्चतम क्षमता वाली दुनिया की सबसे बड़ी एचईएमएम मशीनों का उपयोग किया जाता है। इसमें त्वरित और पर्यावरण-अनुकूल कोयला निकासी के लिए कंवेयर बेल्ट, साइलो और रैपिड लोडिंग सिस्टम से सुसज्जित फर्स्ट-माइल कनेक्टिविटी भी है।

इस अवसर पर एसईसीएल सीएमडी प्रेम सागर मिश्रा ने टीम को बधाई देते हुए कहा की कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोल इंडिया एवं एसईसीएल टीम ने आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। हमारा सपना है कि गेवरा अत्याधुनिक खनन तकनीक से युक्त दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बने और आज मिली यह स्वीकृति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। एसईसीएल प्रबंधन ने कहा है कि यह हमारे लिए एक ऐतिहासिक दिन है कि जल्द ही एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान एसईसीएल और छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित होगी। पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान करने में सहयोग और त्वरित कार्रवाई के लिए पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) के साथ-साथ केंद्र और राज्य की एजेंसियों और छत्तीसगढ़ सरकार का भी आभार व्यक्त किया।

एसईसीएल की दूसरी मेगा परियोजना कुसमुंडा ने वित्तीय वर्ष समाप्त होने के 26 दिन पहले 431.1 लाख टन कोयला उत्पादन किया, जो गत वर्ष के कुल उत्पादन से अधिक है। इसके पहले खदान ने पांच फरवरी को ही पिछले साल का कोयला प्रेषण का रिकार्ड पार कर लिया था। यहां बताना होगा कि चालू वित्तीय वर्ष में कुसमुंडा परियोजना 500 लाख टन कोयला उत्पादन के वार्षिक लक्ष्य दिया गया है, इसे हासिल करने खदान आगे बढ़ रही है। ओव्हरबर्डन रिमूवल में भी गत वर्ष से सकारात्मक वृद्धि दर्ज करते हुए कुसमुंडा ने 41.26 मिलियन क्यूबिक मीटर निष्कासन किया है।

वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में एसईसीएल ने लक्ष्य हासिल करने उत्पादन बढ़ा दिया है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार खदानों का दौरा कर रहे हैं। मंगलवार को निदेशक तकनीकी (संचालन) एसएन कापरी कुसमुंडा क्षेत्र पहुंचे तथा कर्मियों से मुलाकात कर उत्साहवर्धन किए। उन्होंने कुसमुंडा के नीलकंठ, बरकुटा, कैट पैच का भी निरीक्षण किया। साथ ही कोयला उत्पादन गतिविधियों को बढ़ाने का निर्देश दिया। इस अवसर पर सीएमडी डा प्रेम सागर मिश्रा ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में कुसमुंडा क्षेत्र समेकित प्रयास से निश्चित ही अपना उत्पादन लक्ष्य हासिल करेगी।

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