खेल जगतहमर छत्तीसगढ़

देश के दूसरे राज्यों के खेल घोषित

23 वर्ष से तय नहीं हो सका छत्‍तीसगढ़ का राजकीय खेल, खेलों को बढ़ावा देने के लिए बनेगी कार्ययोजना

रायपुर। राज्य गठन के 23 वर्षों बाद भी प्रदेश का राजकीय खेल तय नहीं हो पाया है। अब राज्य सरकार ने इस दिशा में सोचना शुरू किया है। इसके लिए जल्द ही प्रयास शुरू होंगे। खेल मंत्री टंकराम वर्मा जल्द ही खिलाड़ियों, विशेषज्ञों से सुझाव लेकर अधिकारियों से चर्चा करेंगे। प्रदेश में राजकीय चिह्न, भाषा, पक्षी, राजकीय फल और राजकीय फूल तय हो चुके हैं, लेकिन राजकीय खेल के तय होने का इंतजार खत्म नहीं हुआ है।

प्रदेश में खेलों की दीवानगी से लोग अछूते नहीं है। परंपरागत गिल्ली-डंडा, फुगड़ी से लेकर क्रिकेट, फुटबाल, बैडमिंटन सरीखे खेलों के दीवानों की कमी नहीं है। राजनांदगांव जिले को हाकी की नर्सरी कहा जाता है। बस्तर में मलखंभ खेला जाता है। प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना प्रदर्शन दिखा चुका हैं। इन सबके बावजूद छत्तीसगढ़ का अपना कोई ऐसा खेल नहीं है, जिसे हम गौरव के साथ प्रशासनिक तौर पर राजकीय खेल कह सकें।प्रदेश में अब तक राजकीय खेल घोषित करने संबंधी कभी कोई पहल भी नहीं हुई है। वहीं, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र में अपने-अपने राजकीय खेल हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि किसी ऐसे खेल को राजकीय खेल बनाना चाहिए, जो कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेला जाता हो। इससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल तालिका में प्रदेश का योगदान बढ़ने की संभावना होगी।

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