वाईम के मोह से बाहर निकले अखिलेश?
लोकसभा संग्राम: लोकसभा के संग्राम में ये तो सबको पता है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. यही कारण है कि दो लड़कों की जोड़ी की नजर उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा है. 24 की सियासी जंग जीतने के लिए अखिलेश और राहुल की नई रणनीति पर काम कर रहे हैं. जानकारों की मानें तो अखिलेश यादव ‘MY’के मोहजाल से बाहर निकलकर बड़े प्लान पर काम करते नजर आ रहे हैं. आइये आपको यूपी में दो लड़कों की जोड़ी के सबसे बड़े प्लान के बारे में बताते हैं..
दो लड़कों की जोड़ी का दिखेगा दम?
राहुल गांधी बीते कुछ दिनों से कॉन्फिडेंस में नजर आ रहे हैं. कन्नौज में अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने संयुक्त रैली में लोगों में जमकर उत्साह भरा. ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या वाकई में उत्तर प्रदेश में अखिलेश-राहुल की जोड़ी 24 के चुनाव में बड़ा कमाल करने वाली है? क्या वाकई उत्तर प्रदेश में दो लड़कों की जोड़ी का दम दिखने वाला है?
वाईम के मोह से बाहर निकले अखिलेश?
जानकारों का मानना है कि यूपी में अखिलेश और राहुल की रैलियों से 24 की सियासी जंग को जीतने का कॉन्फिडेंस दिख रहा है. दोनों पार्टियों की मजबूत रणनीति भी दिख रही है. सबसे महत्वपूर्ण यह कि मुस्लिम और यादव समीकरण के जरिए उत्तर प्रदेश की सत्ता के टॉप पर पहुंचने वाली समाजवादी पार्टी ने बदले राजनीतिक हालात को देखते हुए अपनी रणनीति बदल ली है. धर्म और जाति के खांचों में बंटी प्रदेश की राजनीति में इस बार अखिलेश ने ‘MY’ के मोहजाल से बाहर निकल कर गैर यादव पिछड़ी जातियों पर फोकस बढ़ाया है.
यूपी की 62 सीटों पर सपा लड़ रही चुनाव
समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं उसने 17 सीट कांग्रेस को और एक सीट टीएमसी को दी है. अखिलेश ने इन 62 में से 61 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. वहीं रॉबर्ट्सगंज सीट पर पार्टी ने अभी प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया है. अखिलेश यादव कन्नौज से चुनावी मैदान में हैं. शुक्रवार को भी दो लड़कों की जोड़ी कन्नौज में थी… और संविधान का हवाला देकर राहुल गांधी की भाषा में वो कॉन्फिडेंस भी दिखा.
अखिलेश ने 17 सीटें दलितों को दीं
सियासी पंडित भी अब कह रहे हैं कि बीजेपी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने का दावा जरूर कर रही है. लेकिन हकीकत ये है कि इंडिया गठबंधन और अखिलेश यादव के नए समीकरण के आगे बीजेपी टेंशन में है. अखिलेश यादव ने इस बार सबसे ज्यादा 17 सीटें दलितों को दी हैं. इसमें से 16 सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं. इस 17 में से 6 उम्मीदवार जाटव समाज के हैं.
बीएसपी के कोर वोट बैंक पर नजर
जिन्हें मायावती की अगुआई वाली बीएसपी का कोर वोट बैंक माना जाता है. यानी अखिलेश की नजर बीएसपी के घटते वोट प्रतिशत पर भी है. और बीएसपी के वोटरों को भी समेटना चाहते हैं. अखिलेश यादव का ये प्लान बताता है कि इस बार बीएसपी के वोट बैंक में अच्छी खासी सेंध लगने वाली है. लेकिन अखिलेश का नया समीकरण कितना कामयाब होगा, ये 4 जून के नतीजे तय करेंगे. ‘MY’ का मोह छोड़कर अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में जो चक्रव्यूह बिछाया है, उसे समझने के लिए आंकड़े दिखाते हैं….
किस जाति के कितने उम्मीदवार?
दलित -17कुर्मी-पटेल -10कुशवाहा-शाक्य-सैनी -06यादव -05मुस्लिम -04ब्राह्मण -04क्षत्रिय -03निषाद औरबिंद -03जाट -02गुर्जर -01राजभर -01पाल -01लोधी -01भूमिहार -01वैश्य -01