हमर छत्तीसगढ़

मुस्लिम महासभा में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग उठी

आरंग की घटना की CBI जांच हो-मुस्लिम समाज

भारतीय इतिहास में छत्तीसगढ़ में मुस्लिम समाज ने पहली महासभा हुई जिसमें छत्तीसगढ़ प्रदेश के मुस्लिम एकसाथ लामबंध होकर अपने समाज के साथ हो रही ज्यादतियों के लिए एकसाथ खड़े होने व छत्तीसगढ़ में विगत दिनों से घट रही घटनाओं पर मंथन किया ।

आपको बता दे कि आरंग में घाटी घटना जिसमे 3 बेगुनाह मुस्लिम लड़को की गौ तस्करी के नाम पर बेरहमी से पिट पिट कर नदी में फेंक कर मार दिया गया व सत्तापक्ष के एक कद्दावर नेता के द्वारा कूद कर जान देने के बयान व छत्तीसगढ़ पुलिस के द्वारा ठोस कार्यवाही न होने एवं सभी आरोपियों की अबतक गिरफ्तारी न होने से समाज मे अच्छी खासी नाराजगी देखी जा रही थी जिसको लेकर आज महासभा के आयोजन रखा गया था जिसमे पूरे प्रदेश से मस्जिदों के मुतवल्ली , अंजुमन कमेटियों के अध्यक्ष, दरगाह कमेटियों के अध्यक्ष को शामिल किया गया था

मुस्लिम समाज 36 गढ़ प्रमुखों की “महासभा” में चर्चा के बाद बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जैसे गौ तस्करी पर पूर्ण रूप से प्रतिबंद लगाया जाए व तस्करी करने वाले गिरोह पर सख्त कार्यवाही की जए व बहुसख्यको की आस्था व धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किए जाने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री से मांग की जाएगी उनका कहना था कि मुस्लिमो की आड़ में अन्य समाज के लोग इस कारोबार में लिप्त है और जानबूझ कर परिवहन के नाम पर मुस्लिमो को ड्राइवर रखते है । पूरे देश से बीफ का एक्सपोर्ट को तत्काल बंद किया जाए क्योंकि इसमें भी बीफ को एक्सपोर्ट करने वाली कंपनियों के नाम अल कबीर जैसे मुस्लिम नाम से दूसरे धर्म के लोग कंपनी चला रहे है व बदनाम मुस्लिम समाज को कर रहे इन्हें तत्काल बन्द होना चाहिए ,आरंग हत्याकांड व बीरनपुर हत्याकांड जैसे मामलों में प्रशासन का रवैया उदासीन लगता है। कवर्धा की घटना में मुस्लिम नौजवानों पर दुर्भावना पूर्ण आतंकी धराए लगाना व मुस्लिमो के घरों पर बुल्डोजर जैसी कार्यवाही का केवल मुस्लिम समाज के साथ होना दुर्भावनापूर्ण ह
फेसबुक ,सोशल मीडिया में इस्लाम धर्म और मुस्लिम समाज के खिलाफ अभद्र अपमानजनक पोस्ट डालकर सदभाव खराब करना व पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय को टारगेट किया जाने से समाज ने नाराजगी जाहिर की।

छत्तीसगढ़ मुस्लिम समाज के द्वरा शांति और सद्भावना कायम रखते हुए संविधान के दायरे में रहते हुए न्यायालय की शरण लेने की बात की गई

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