दिल्ली दंगाः पुलिस नहीं पेश कर सकी सबूत

फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में हुई हिंसा और दंगों से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए कड़कड़डूमा की विशेष अदालत ने हाल ही में चार अलग-अलग FIR में 30 व्यक्तियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. इन FIR में तीन हत्याओं के साथ-साथ एक मेडिकल दुकान में लूटपाट और आगजनी के मामले शामिल थे. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने 13, 14, 16 और 17 मई को चार अलग-अलग मामलों में आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया. इनमें गोकलपुरी थाने में दर्ज FIR 37/2020, 36/2020 और 114/2020 के साथ-साथ करावल नगर थाने की FIR 64/2020 शामिल हैं. हाल ही में बरी किए गए व्यक्तियों में लोकेश कुमार सोलंकी, पंकज शर्मा, सुमित चौधरी, अंकित चौधरी, प्रिंस, पवन कुमार, ललित कुमार, ऋषभ चौधरी, जतिन शर्मा, विवेक पांचाल, हिमांशु ठाकुर, टिंकू अरोड़ा, संदीप कुमार, साहिल, मुनेश कुमार, सुमित, पप्पू, विजय अग्रवाल, सौरव कौशिक, भूपेन्द्र पंडित, शक्ति सिंह, सचिन कुमार, राहुल, योगेश शर्मा, अमन, विक्रम, राहुल शर्मा, रवि शर्मा, दिनेश शर्मा और रणजीत राणा शामिल हैं.
13 मई को, न्यायालय ने दंगों के दौरान आमिर अली की हत्या के मामले में ASI द्वारा दर्ज FIR 37/2020 में 14 व्यक्तियों को बरी कर दिया. अदालत ने उन्हें दंगा, अवैध रूप से इकट्ठा होने और हत्या के आरोपों से मुक्त कर दिया. हालांकि, एक आरोपी लोकेश कुमार सोलंकी को भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 505 के तहत दोषी ठहराया गया.
अभियोजन पक्ष अन्य तीन मामलों में आरोपियों के अपराध को किसी भी उचित संदेह से परे साबित करने में असफल रहा, जिसके परिणामस्वरूप सबूतों की कमी के कारण सभी आरोपियों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया.
FIR नंबर 114/2020 इमरान शेख की शिकायत पर दर्ज की गई, जिसमें उनकी मेडिकल दुकान में लूटपाट और आगजनी का आरोप लगाया गया है. FIR संख्या 64/2020 शाहबाज नामक व्यक्ति की हत्या से संबंधित है, जिसे दंगों के दौरान बेरहमी से पीटा गया और जिंदा जला दिया गया. यह मामला ASI के बयान के आधार पर दर्ज किया गया. FIR संख्या 36/2020 अकील अहमद की हत्या से जुड़ी है, जिसकी मौत का कारण सिर पर लगी चोट के कारण सदमा बताया गया. इस मामले में भी दिल्ली पुलिस के ASI के बयान के आधार पर कार्रवाई की गई.