पोलियो उन्मूलन के लिए विष्णुदेव साय व श्याम बिहारी जायसवाल की सराहनीय भूमिका
एमसीबी, पोलियो एक गंभीर बीमारी है, जो आमतौर पर छोटी उम्र में भी लोगों को अपना शिकार बना लेती है। यही वजह है कि इसके प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है। यह दिन लोगों को इस गंभीर बीमारी के बुरे परिणामों के बारे में बताने के साथ ही इससे निपटने के तरीकों के बारे में भी जानकारी देता है। भारत को भले ही पोलियो मुक्त घोषित किया जा चुका है, लेकिन आज भी दुनियाभर में कई लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। इस दिन को मनाने की शुरुआत 1985 में की गई थी। यह दिन रोटरी इंटरनेशनल द्वारा बनाई गई पहली पोलियो वैक्सीन टीम के प्रमुख चिकित्सा शोधकर्ता जोनास साल्क के प्रयासों के सम्मान में मनाया जाता है। तब से लेकर आज तक हर साल 24 अक्टूबर को यह दिन मनाया जाता है।
पोलियो के प्रति जागरूकता फैलाने वाला यह दिन हर साल किसी खास थीम के साथ मनाया जाता है। इस साल वर्ल्ड पोलियो डे की थीम है: “हर बच्चे तक पहुंचने के लिए एक ग्लोबल मिशन” पोलियो, जिसे पोलियोमाइलाइटिस भी कहा जाता है, एक बेहद संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मुख्य रूप से 5 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसकी वजह से प्रभावित बच्चे को पैरालिसिस होता है और कभी-कभी मौत भी हो जाती है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव के लिए 1988 में ग्लोबल पोलियो इरेडिकेशन इनीशिएटिव (GPEI) जैसी पहल की शुरुआत के बाद से, दुनिया भर में पोलियो के मामलों को कम करने में मदद मिली है। इस पहल के बाद पोलियो के मामलों में 99% से ज्यादा की गिरावट आई है और पोलियो अब केवल कुछ ही देशों में स्थानिक बीमारी है।
एमसीबी जिले ने पोलियो उन्मूलन के प्रयासों में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। इस सफलता के पीछे राज्य के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की अहम भूमिका रही है, जिनके नेतृत्व में राज्य ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाया और पोलियो के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया। पोलियो (पोलियोमाइलिटिस) एक संक्रामक बीमारी है जो पोलियोवायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है, जिससे उनकी मांसपेशियों में कमजोरी आ जाती है और स्थायी विकलांगता या मृत्यु भी हो सकती है। एक समय था जब यह बीमारी दुनियाभर में विकराल रूप ले चुकी थी, और लाखों बच्चे इससे प्रभावित हो रहे थे। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्थाओं ने पोलियो उन्मूलन के लिए व्यापक अभियान शुरू किए, जिसमें टीकाकरण एक मुख्य हथियार बना। भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में सामने आया था, और 2014 में देश को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया। यह एक बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन इस यात्रा में राज्यों का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने पोलियो उन्मूलन की दिशा में जो कदम उठाए, वे पूरे देश के लिए प्रेरणा बने।
छत्तीसगढ़, जो अपने आदिवासी और ग्रामीण आबादी के लिए जाना जाता है, पोलियो उन्मूलन की दिशा में एक चुनौतीपूर्ण राज्य रहा है। राज्य की भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या की विविधता और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच में आने वाली समस्याएं इसे और अधिक चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ ने पोलियो उन्मूलन के लिए कई अहम कदम उठाए। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए राज्य में एक मजबूत टीकाकरण अभियान शुरू किया गया, जिसमें विशेष ध्यान उन ग्रामीण और आदिवासी इलाकों पर था, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच कम थी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपने कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि किसी भी राज्य की समृद्धि तभी संभव है जब उसकी जनता स्वस्थ हो। पोलियो जैसे रोगों को समाप्त करना उनके एजेंडे में सबसे ऊपर था। उनके नेतृत्व में राज्य में व्यापक स्तर पर स्वास्थ्य योजनाओं की शुरुआत की गई, जिनका उद्देश्य पोलियो जैसी बीमारियों का पूर्ण उन्मूलन था। विष्णुदेव साय ने राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लिए कई पहल कीं। उन्होंने टीकाकरण अभियानों को तेजी से लागू करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई और सुनिश्चित किया कि राज्य के हर कोने में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकें। खासकर मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए विशेष प्रयास किए।
श्याम बिहारी जायसवाल की नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं का हो रहा विस्तार
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने राज्य में पोलियो के खिलाफ लड़ाई में मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सशक्त बनाया और पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक व्यापक रणनीति बनाई। उनके नेतृत्व में राज्य में कई पोलियो टीकाकरण अभियान चलाए गए, जिनमें “पल्स पोलियो अभियानष् सबसे प्रमुख था। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि राज्य के सभी जिलों में, विशेषकर आदिवासी और दूरदराज के इलाकों में टीकाकरण कार्यक्रम सुचारू रूप से चले। इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवकों की टीम तैयार की, जो घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाने का काम कर रहे थे। एमसीबी जिला, छत्तीसगढ़ के नए जिलों में से एक है, जो राज्य के पोलियो उन्मूलन अभियान में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बेहतर बनाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। इस जिले ने अपने पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र रहा है। लेकिन सरकार की योजनाओं के तहत यहां स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया गया और सुनिश्चित किया गया कि कोई भी बच्चा पोलियो टीकाकरण से वंचित न रह सके। छत्तीसगढ़ में पोलियो उन्मूलन के आंकड़े राज्य की कड़ी मेहनत और समर्पण को दर्शाते हैं। राज्य में पोलियो का आखिरी मामला 2009 में सामने आया था। उसके बाद से लगातार टीकाकरण अभियान चलाए गए, जिसके परिणामस्वरूप छत्तीसगढ़ को पोलियो मुक्त राज्य घोषित किया गया। राज्य में 2020 में करीब 85% बच्चों का टीकाकरण सफलतापूर्वक किया गया, और यह आंकड़ा 2024 में 95% से अधिक हो चुका है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार एमसीबी जिले में 98% बच्चों को पोलियो की खुराक दी गई जो राज्य के औसत से भी बेहतर है।
पोलियो उन्मूलन के लिए किया जा रहा सामूहिक प्रयास
पोलियो उन्मूलन के लिए सरकार और जनता का सहयोग अत्यंत आवश्यक होता है। विष्णुदेव साय और श्यामबिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में सरकारी संस्थाओं के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों और समाजसेवियों का भी बड़ा योगदान रहा है। पोलियो टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार ने कई जन जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए, जिनके तहत लोगों को पोलियो के खतरे और टीकाकरण के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। छत्तीसगढ़ पोलियो उन्मूलन की दिशा में जो सफलता हासिल की है वह मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल की दूरदर्शिता और नेतृत्व का परिणाम है। उनके प्रयासों से न केवल एमसीबी जिला बल्कि पूरा छत्तीसगढ़ पोलियो मुक्त होने की दिशा में अग्रसर हुआ है।