नेपाल और भारत पर चीनी राजदूत के तंज से बवाल, दुखद हादसे पर की ओछी टिप्पणी
नेपाल में 12 जुलाई को एक भीषण बस हादसा हुआ था। बसों में सवार 65 लोगों में से 62 अब भी लापता हैं, जिनकी तलाश के लिए अभियान जारी है। इस बीच दुखद हादसे को लेकर नेपाल में चीनी राजदूत शेन सॉन्ग की एक टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया है। उनके बयान से नेपाल के लोगों में भी नाराजगी है। 28 जुलाई को प्रकाशित एक खबर को शेयर करते हुए चीनी राजदूत शेन सॉन्ग ने लिखा था, ’19 किलो का चुंबक जो लापता बस की तलाश के लिए लाया गया था। वह खुद गायब है।’ उन्होंने एक्स पर यह बात लिखी थी, जिसे लेकर नेपालियों में गुस्सा है। वह मान रहे हैं कि चीनी राजदूत ने दुखद हादसे पर संवेदना जताने की बजाय मजाक बनाया है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
यह हादसा 12 जुलाई को हुआ था, जब त्रिशूली नदी में दो बसें बह गई थीं। भारी बारिश के चलते नदी उफनाई हुई थी। इसी दौरान काठमांडू से गौर जा रही एक बस नदी में बह गई थी। इसके अलावा बीरगंज से एक बस काठमांडू जा रही थी। वह भी इस बाढ़ में बह गई। दोनों बसों में कुल 65 लोग सवार थे, जिनमें से 62 के बारे में पता नहीं चल सका है। यह घटना नेपाल के चितवन जिले के सिमलताल में हुई थी। इस हादसे में लापता लोगों के बारे में कोई सुराग नहीं मिल सका है। इसके अलावा बसों के बारे में भी खोज जारी है और पता नहीं चल पा रहा है कि दोनों कहां हैं।
इसी अभियान में मदद के लिए नेपाल ने भारत से गुहार लगाई थी। इस पर भारत ने 12 सदस्यों का एक टोही दल भेजा था, जिनके पास चुंबक भी थे। इन चुंबकों की मदद से बसों को खोजा जाना था क्योंकि उनमें लोहा बड़े पैमाने पर लगा है। उम्मीद है कि लोहे की बसों के संपर्क में आते ही चुंबक उनसे चिपक जाएंगे और बसों तक पहुंचा जा सकेगा। लेकिन अब तक यह अभियान भी किसी सिरे तक नहीं पहुंच सका है। ऐसे में चीनी राजदूत के बयान को नेपाल के अलावा भारतीय टोही अभियान पर भी एक तंज के तौर पर देखा जा रहा है।
अब तक नेपाल या भारत की ओर से चीनी राजदूत के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। नेपाली कांग्रेस के सांसद रामहरि खाटीवाड़ा ने शेन के बयान को आपत्तिजनक बताया है और विदेश मंत्रालय से इस पर जवाब मांगने की अपील की है। वहीं सांसद सर्वेन्द्र नाथ शुक्ला ने चीनी राजदूत का नाम लिए बिना ही आलोचना की है। नेताओं के अलावा नेपाल के आम लोगों का भी मानना है कि ऐसे दुखद हादसे पर चीनी राजदूत को आपत्तिजनक तंज नहीं कसना चाहिए था।