स्वास्थ्य

बवासीर की समस्या प्रेग्नेंसी में बन सकती है मुसीबत? जानें डॉक्टर के जवाब

हम सबके पास ढेरों सवाल होते हैं, बस नहीं होता जवाब पाने का विश्वसनीय स्रोत। इस कॉलम केजरिये हम एक्सपर्ट की मदद से आपके ऐसे ही सवालों केजवाब तलाशने की कोशिश करेंगे। इस बार गाइनेकोलॉजिस्ट देंगी आपकेसवालों केजवाब। हमारी एक्सपर्ट हैं, डॉ. अर्चना धवन बजाज सवाल: मैं चार माह की प्रेग्नेंट हूं। प्रेग्नेंसी को ध्यान में रखते हुए मैंने अपनी डाइट में जरूरी बदलाव तो किए हैं, पर चाय-कॉफी की अपनी आदत पर काबू नहीं कर पा रही हूं। मुझे चाय-कॉफी बहुत पसंद है और दिन भर में मैं सात से आठ कप चाय और कॉफी पी लेती हूं। इसका गर्भ में पले रहे बच्चे की सेहत पर क्या किसी तरह का नकारात्मक असर पड़ सकता है? इस लत पर कैसे काबू पाऊं? -नंदिता शर्मा, कानपुर जवाब: माना कि आप चाय और कॉफी की शौकीन हैं, पर कोशिश करें कि उनका सेवन कम-से-कम किया जाए। यही सलाह हर गर्भवती महिला को दी जाती है। वैसे तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो कॉफी की तुलना में चाय कम नुकसानदेह होती है। अगर चाय और कॉफी की आदत पर आप काबू नहीं कर पा रही हैं, तो धीरे-धीरे चाय के ही सेहतमंद विकल्प की ओर रुख करें। ग्रीन टी पीना शुरू करें। ग्रीन टी के सेवन से ना तो आपको और ना ही गर्भ में पल रहे भ्रूण को किसी तरह का नुकसान होगा। कॉफी में चूंकि कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, तो यह कैफीन गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे भ्रूण दोनों को नुकसान पहुंचाता है। ज्यादा मात्रा में कैफीन के सेवन से गर्भवती महिला के दिल की धड़कन तेज होती है, रक्तचाप बढ़ता है, रात में नींद कम आती है और मां के स्वभाव में इसका असर देखा जा सकता है। वहीं, बहुत ज्यादा कैफीन के सेवन से भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है, गर्भपात और स्वभावगत विसंगतियां हो सकती हैं। कई सारी समस्याएं हैं, जो बहुत ज्यादा कैफीन के सेवन से मां और गर्भ में पल रहे भ्रूण, दोनों को हो सकती है। अगर आप कॉफी पीने की अपनी आदत पर काबू नहीं कर पा रही हैं, तो हर दिन एक कप से ज्यादा कॉफी का सेवन नहीं करें। सबसे अच्छा विकल्प है, डीकैफीनेटेड कॉफी का सेवन करना। इस तरह की कॉफी से कैफीन को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है और इसमें एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। डीकैफीनेटेड कॉफी का साइड इफेक्ट भी ना के बराबर होता है। सवाल: मेरी उम्र 28 साल है और पिछले आठ सालों से मैं पाइल्स से परेशान हूं, जिसमें ब्लीडिंग भी होती है। शुरुआत के कुछ साल मुझे इस बीमारी के बारे जानकारी ही नहीं थी, पर पिछले तीन साल से मैं होम्योपैथी की दवा ले रही हूं। कुछ माह में मेरी शादी होने वाली है और पाइल्स की वजह से मैं बहुत परेशान हूं। क्या पाइल्स के कारण मेरी प्रेग्नेंसी या शादीशुदा जिंदगी में कोई दिक्कत भी हो सकती है?  -फातिमा, लखनऊ

जवाब: पाइल्स एक क्रोनिक बीमारी है, जो एक बार शुरू हो जाए और अगर उसका सही तरीके से इलाज नहीं हो, तो मरीज को अकसर परेशान करती रहती है। सबसे पहले तो अगर आपको पाइल्स है या पाइल्स होने का अंदेशा है, तो अपनी जीवनशैली में जरूरी बदलाव लाएं। अपनी डाइट में रफेज यानी रेशायुक्त खाद्य पदार्थों जैसे फल, सलाद व हरी पत्तेदार सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं। पानी और अन्य तरल पदार्थों का सेवन करें। मीट कम और सब्जियां ज्यादा खाएं। दूध की मात्रा डाइट में बढ़ाएं। सोने से पहले दूध और इसबगोल के छिलके का नियमित रूप से सेवन करें। नियमित रूप से ऐसी जीवनशैली को अपनाने से पाइल्स की परेशानी आप पर कभी हावी ही नहीं होगी। यदि पाइल्स हो जाता है, तो स्टूल सॉफ्टनर, गर्म पानी में एंटीसेप्टिक लोशन डालकर उसमें बैठना और प्रभावित हिस्से में एंटी-इंफ्लामेट्री क्रीम लगाने से अधिकांश लोगों को आराम मिल जाता है, जिसमें सबसे बड़ी भूमिका स्टूल सॉफ्टनर की होती है। अगर ब्लीडिंग शुरू हो गई है, तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें क्योंकि कई बार ऑपरेशन करने की भी जरूरत पड़ती है। इसका प्रेग्नेंसी से कोई संबंध नहीं होता। पर, अगर प्रेग्नेंसी के दौरान पाइल्स हो जाए तो वह परेशानी दे सकती है। खासतौर पर डिलेवरी के दौरान और उसके बाद पाइल्स की वजह से समस्या हो सकती है। अगर आपको पाइल्स है और आप गर्भधारण की योजना बना रही हैं तो पहले ही उसका ट्रीटमेंट करवा लें।

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