हमर छत्तीसगढ़

विविधताओं के साथ आदर्श और मजबूत भारत का निर्माण करें : राज्यपाल हरिचंदन

रायपुर । राजभवन में 12 जुलाई को राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन की अध्यक्षता में राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, और गोवा राज्यों का स्थापना दिवस समारोह उत्साह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प हो कि सभी अपनी विविधताओं के साथ एक आदर्श और मजबूत भारत के निर्माण के लिए मिलकर काम करें। इस अवसर पर पूर्व सांसद सुनील सोनी राज्यपाल के सचिव यशवंत कुमार सहित इन राज्यों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

केन्द्र सरकार के “एक भारत-श्रेष्ठ भारत”  कार्यक्रम के तहत राजभवन में यह समारोह आयोजित किया गया था। जिसमें छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले राजस्थान, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, और गोवा के लोगों ने भाग लिया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि हमारे देश की विविधता यहां के खान-पान, पहनावे, परंपराओं, रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों में देखी जा सकती है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाने वाली भाषाओं की विविधता, देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है।

राज्यपाल हरिचंदन ने इन विभिन्न राज्यों की विशेषताओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ‘‘राजाओं की भूमि‘‘ के रूप में जाना जाने वाला राजस्थान अपने शाही इतिहास, भव्य किलों और महलों के साथ भारतीय वीरता और सांस्कृतिक गौरव की कहानियों को संरक्षित किए हुए है। राजस्थान के हस्तशिल्प के साथ-साथ पारंपरिक और रंगीन गाथा कला दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है। छत्तीसगढ़ सहित देश के सभी राज्यों में वाणिज्य और व्यापार के क्षेत्र में मारवाड़ी समाज ने अभूतपूर्व योगदान दिया है।

महाराष्ट्र की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अपनी वीरता से शक्तिशाली मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूर करने वाले महान योद्धा क्षत्रपति शिवाजी महाराज, भक्ति आंदोलन के प्रणेता संत नामदेव, संत तुकाराम, समर्थ रामदास, भक्तों की मनोकामनापूर्ण करने वाले शिरडी के साई बाबा की यह कर्म स्थली है। भगवान विठ्ठल की नगरी पंढ़रपुर भी यही पर है। राज्य में स्थित देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल त्र्यम्बकेश्वर, भीमाशंकर, घृष्णेश्वर एवं ऐतिहासिक अजन्ता एलोरा की गुफाओं की प्रसिद्धि पूरे विश्व में है। यह राज्य भारत की जीडीपी में 14 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ भारत की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

राज्यपाल ने कहा कि बंगाल की धरती संत रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानन्द जैसे महान संतों की है। बंगाल के क्रांतिकारियों और समाज सुधारकों के योगदान के बिना देश की आजादी और पुनर्निर्माण की कल्पना नहीं की जा सकती थी। स्वतंत्रता संग्राम में सुभाष चंद्र बोस के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। यह भूमि अमर स्वतंत्रता सेनानियों की है। जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। ‘‘गीतांजलि‘‘ जैसे महान साहित्य के लेखक नोबेल पुरस्कार प्राप्त गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर इसी राज्य के सपूत थे, जो वर्ष 1918 में छत्तीसगढ़ के पेंड्रा शहर अपनी पत्नी के इलाज के लिए आये थे। यहां उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविता लिखीं।

राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश और गोवा राज्यों की प्राकृतिक सुंदरता, जीवंत संस्कृति, वास्तुकला और वहां के निवासियों की खूबियों को रेखांकित किया और कहा कि इन राज्यों ने अपनी अनूठी विरासत, विशिष्ट संस्कृतियों के साथ मिलकर भारत को एक समृद्ध, विविधतापूर्ण और एक मजबूत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में बहुत योगदान दिया है।

इस अवसर पर राजस्थानी समाज के प्रतिनिधि पूर्व सांसद सुनील सोनी, हिमाचल प्रदेश के प्रतिनिधि पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य, बंगाली समाज के प्रतिनिधि रितेश तरूण चटर्जी और महाराष्ट्रीयन समाज के प्रतिनिधि अजय मधुकर काले ने अपने-अपने राज्यों की उपलब्धियों और विशेषताओं की जानकारी दी। उन्हांेने कहा कि अब छत्तीसगढ़ ही उनका घर है।

कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने कोली, बाउल, धुनुची लोकनृत्य सहित इन राज्यों के विविध रंगों से सजी लोकनृत्यों की प्रस्तृति दी। राज्यपाल ने सभी राज्यों के प्रतिनिधियों को राजकीय गमछा पहनाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। हरिचंदन को भी इन राज्यों के प्रतिनिधियों ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन राज्यपाल की उप सचिव श्रीमती हिना अनिमेष नेताम ने किया। कार्यक्रम में राज्यपाल के विधिक सलाहकार भीष्म प्रसाद पाण्डेय विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि, युवा, महिलाएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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