Breaking news ; बांग्लादेश में जो कुछ हुआ अप्रत्याशित नहीं था…
भारत के किसी भी पड़ोसी देश में जो कुछ हुआ है, होता है और आगे होगा वह अप्रत्याशित नहीं होता है। उसके बीज बहुत पहले बो दिए गए होते हैं। उसके फल आने में समय लगता है। पहले पाकिस्तान में हुआ,उसके बाद श्रीलंका मे हुआ, उसके बाद अफगानिस्तान में हुआ। नेपाल में हुआ। सिर्फ बांग्लादेश ही बचा हुआ था। वहा वक्त इसलिए लगा कि वहां शेख हसीना लंबे वक्त तक सत्ता में रहीं। बांग्लादेश में जब तक शेख हसीना रहती, उसे पाकिस्कान,श्रीलंका,अफगानिस्तान बनाना आसान नहीं था, इसलिए यह योजना बनाई गई, यह साजिश की गई कि कैसे शेख हसीना के बांग्लादेश से भगाया जा सकता है।
जो लोग बांग्लादेश को पाकिस्तान,श्रीलंका, अफगािनस्तान बनाना चाहते थे,वह लोग तो कोशिश में लगे हुए थे। विश्व की बड़ी,बड़ी ताकते भी चाहती थी कि बांग्लादेश मेें ऐसी स्थिति पैदा कर दी जाए जिससे शेख हसीना का बांग्लादेश में रहना संभव न रह जाए। विश्व की बड़ी ताकतों का साथ जब शेख हसीना विरोधी ताकतों को मिला तो वह चुनाव के कुछ महीनों बाद ही ऐसी स्थिति बनाने में सफल रहे कि शेख हसीना के लिए बांग्लादेश छोड़कर जाना पड़ा। इसमें शेख हसीना विरोधी लोगों के साथ पुलिस व सेना के लोग भी शामिल थे, इस बात का पता इससे चलता है कि सेना ने पहले तो देश में ऐसी स्थिति बनने दी जिसे संभाला न जा सके। इसके लिए भीड़तंत्र का योजना बनाकर उपयोग किया गया।
लाखों लोगों को ढाका में एकत्रित होने दिया गया, जब लाखों लोग सड़क पर उतर आए तो पुलिस व सेना ने हाथ खड़े कर दिए और शेख हसीना को बताया कि आप जान बचाती हैं तो पीएम पद से इस्तीफा दे और भारत चले जाएं। शेख हसीना को देश छोडऩे के लिए मात्र ४५ मिनट ही दिए जाने से साफ है कि पुलिस व सेना भी चाहती थी कि वह मिनटों में ही देश छोड़ दें। कुछ मिनटों में वह भारत ही आ सकती थी। ऐसी स्थिति में उनकी मदद व रक्षा भारत ही कर सकता था, इसलिए वह भारत चली आईं। वह नहीं आती तो उनके पिता व परिवार के लोगों के साथ जो किया गया था, वैसा ही कुछ किया जाता।
सेना व पुलिस ही जब उनके साथ नहीं थी तो उनकी जान को कौन बचाता। जान बचाने के लिए भागना जरूरी था। इससे हुआ क्या। इससे शेख हसीना विरोधी ताकते जो चुनाव में उनको नहीं हरा सकीं, इस तरह देश में हिंसा व अराजकता का माहौल बनाकर उनकाे हराया ही नहीं देश छोड़कर भागने पर मजबूर कर दिया। विश्व की बड़ी ताकते किसी देश में हिंसा व अराजकता का माहौल तब बना पाती है,जब वहां के लोगों में सरकार के प्रति गुस्सा हो, देश में देश विरोधी ताकते मजबूत हों, वह देश विरोधी ताकतों को मुंहमांगा पैसा देती है, देश हित मेंं काम करने वाली सरकार को हटाने के लिए। वह देशविरोधी ताकतों को सरकार से नाराज लोगों की भारी भीड़ किसी भी वजह से जुटाने के लिए तेयार करते हैं। यह भीड़ इतनी ज्यादा होती है कि सेना व पुलिस भी उसके खिलाफ कार्रवाई करने से डरती है।
बांग्ला देश में छात्रों की नाराजगी की फायदा उठाकर भारी भीड़ जुटाई गई, उस भीड़ का उपयोग पहले हिंसा व अराजकता फैलाने के लिए किया। सरकार छात्रों की मांगों को मान गई थी,इससे बांग्लादेश में शांति आ सकती थी, लेकिन जो लोग बांग्लादेश में शेख हसीना व शांति नही चाहते थे,उन्होंने आरक्षण की जगह शेख हसीना की तानाशाही को लेकर फिर एक बार लाखों लोगों की भीड़ को ढाका की सड़कों पर उतार दिया। इस भीड़ का मुकाबला पुलिस व सेना करने को तैयार नहीं हुई। यह भीड़ जो करना चाहती थी,वह करती रही, यहां वही पैटर्न दिखता है जो श्रीलंका में देखा गया था।
इस भीड़े के पीछे जो ताकते थी,वह दुनिया का दिखाना चाहती थी कि शेख हसीना से बांग्लादेश के सारे लोग बहुत नाराज थे, अगर भीड़ ऐसा नहीं करती, या भीड़ में शामिल लोग ऐसा नहीं करते तो यह दुनिया का बताया नहीं जा सकता था शेख हसीना से बांग्लादेश के सारे लोग बहुत नाराज थे। शेघ हसीना ही नहीं उनके परिवार के लोगों से भी लोग नाराज है, यह भी साजिश करने वाले दिखाना चाहते थे इसलिए विश्व के मीडिया में शेख मुजीब की प्रतिमा को तोड़ते हुए कुछ लोगो को दिखाया गया है। यह बात जरूर अजीब लगती है कि जो शेख हसीना व उनकी पार्टी चुनाव में बहुमत पाकर सरकार बनाती है, उसे कुछ ही महीनों में जनता की नाराजगी का डर दिखाकर भागने को मजबूर कर दिया जाता है।
इससे साबित होता है कि देश विरोधी ताकतों व विश्व के कुछ बड़े देशों के लिए किसी देश में जनता की चुनी हुई सरकार कोई मायने नहीं रखती है।वह मात्र लाखों की भी़ड़ जुटाकर करोड़ों लोगों की चुनी हुई सरकार को भगा सकते हैं, अपनी पसंद की कमजोर सरकार या कोई व्यवस्था बना सकते हैं। यह बांग्लादेश में ही नहीं हुआ है, श्रीलंका में हुआ है, पाकिस्तान मं हुआ है,नेपाल में हुआ है। अफगानिस्तान में हुआ है, और अब बांग्लादेश में भी हुआ है.ऐसा नहीं है कि भारत में ऐसे प्रयास नहीं किए गए हैं जैसे प्रयास भारत के पड़ीसी देशो में किए गए हैं।
भारत में किसान आंदोलन, शाहीन बाग आदोलन,सीएए के खिलाफ आदोलन ऐसे ही प्रयास है, यहां भी भी़ड़ का उपयोग यह बताने के लिए किया गया है कि देश के लोग मोदी सरकार से नाराज हैं।लेकिन यहां जितने लोग मोदी से नाराज दिखाई जाते है,उससे ज्यादा लोग मोदी का पसंद व वोट देने वाले हैं, इसलिए देशविरोधी व मोदीविरोधी ऐसा कुछ नही कर पाए जैसा बांग्लादेश मेे शेख हसीना विरोधी, बांग्लादेश विरोधी करने में सफल रहे हैं।
शेख हसीना बांग्लादेश की मजबूत नेता थी। वह अपने देश को मजबूत बनाना चाहती थी, यह कुछ बड़े देशों को पसंद नहींं आया और वह जो चाहते थे, पंद्रह साल बाद सही करने में सफल रहे है। भारते के लोगों के समझना चाहिए कि देश विरोधी व कुछ बड़े देश तो कभी नहीं चाहते हैं कि भारत में कोई मजबूत नेता हो ताकि वह भारत को अपने इशारों पर उसी तरह नचा जैसे २०१४ के पहले नचाया करते थे। बांग्लादेश हर भारतीय के लिए एक सबक है कि मजबूत नेता से ही देश मजबूत रहता है।