उत्तर प्रदेश में घर से निकले ही नहीं बीजेपी के वोटर, 72 सीटों पर गिर गया ग्राफ
उत्तर प्रदेश केंद्र की राजनीति में एक बड़ी भूमिका निभाता है। बीते दो चुनाव में बीजेपी को सिर आंखों पर बसाने वाले उत्तर प्रदेश ने इस बार झटका दे दिया। उसका परिणाम भी यह हुआ कि बीजेपी को अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं हो सका। वहीं उत्तर प्रदेश में इस बार बीजेपी की ना केवल सीटें कम हुईं बल्कि वोट शेयर भी गिर गया। 2019 के चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर उत्तर प्रदेश में 49.6 फीसदी था जो कि 2024 में गिरकर 41.4 फीसदी हो गया। योगी आदित्यनाथ का गोरखपुर और पीएम मोदी का वाराणसी भी बीजेपी को ज्यादा वोट नहीं दिला सका।
उत्तर प्रदेश में इस बार बहुत सारे लोग वोट डालने घर से निकले ही नहीं। कई सीटों हजार से लेकर 2.2 लाख तक कम वोट पड़े। वोटरों की संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद कम वोट पोल हुए। राजनाथ सिंह के क्षेत्र लखनऊ और फैजाबादा सीट पर भी वोटिंग कम हुई। इसके अलावा अमेठी और रायबरेली में भी वोटिंग कम हुई। जिन लोकसभा सीटों पर इस बार ज्यादा वोटिंग हुई उनमें गौतम बुद्ध नगर , बरेली और कौशांबी शामिल हैं। इन सीटों पर भी बीजेपी का वोट शेयर 2019 के मुकाबले कम हो गया।
टाइ्म्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में 2019 में 8.6 करोड़ वोट में से बीजेपी को 4.3 करोड़ वोट मिले थे। वहीं इस बार 8.8 करोड़ वोट में से 3.6 करोड़ ही मिल पाए। इसकी एक वजह यह भी है कि बीजेपी ने इस बार तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव नहीं लड़ी जिनपर पिछला बार वह लड़ी थी। इसमें बिजनौर, बागपत और घोसी सीट शामिल है। लेकिन अगर केवल 75 सीटों की बात की जाए तब भी बीजेपी को इस बार 50 लाख कम वोट मिले। एवरेज देखें तो हर सीट पर लगभग 67 हजार वोट का नुकसान हुआ।
मथुरा, अलीगढ़, मुजफ्फरनगर और फतेहपुर सीकरी जैसी 12 सीटं पर बीजेपी का एक लाख से ज्यादा वोट कम हो गया। इसके अलावा 36 सीटों पर 50 हजार से ज्यादा वोट कम हुआ। इसमें अमेठी, रायबरेली, इलाहाबाद, गाजियाबाद, मैनपुरी और वाराणसी शामिल हैं। वाराणसी में इस बार प्रधानमंत्री मोदी को ही 60 हजार वोट कम मिले। पिछली बार 75 में से आठ सीटें बीएसपी ने जीती थीं। वहीं इस बार सपा और कांग्रेस ने 6 सीटें जीतीं। नगीना सीट पर चंद्रशेखर जीत गए।