सियासी गलियारा

अखिलेश की बिछाई बिसात पर रामनगरी भी हार गई बीजेपी

अयोध्या. लोकसभा चुनाव परिणामों की घोषणा हो गयी है। इस चुनाव परिणाम ने भाजपा और संघ परिवार को गहरा आघात दिया है। अयोध्या में मिले इस परिणाम ने भाजपा के पांव तले की जमीन ही छीन ली। राम मंदिर के जिस मुद्दे के सहारे भाजपा ने भारतीय राजनीति में धूमकेतु की तरह जगह बनाई और विभिन्न राज्यों के साथ केंद्रीय सत्ता की बागडोर संभाली उसी अयोध्या में भाजपा के पांव उखड़ गए हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव की बिछाई बिसात पर भाजपा रामनगरी भी हार गई। 

अयोध्या की जिस भूमि से रामलला के चरणों में कमल पुष्प चढ़ाने की अभिलाषा थी, वह अधूरी ही रह गयी तो इसकी सबसे बड़ी वजह संविधान बदलने का वह बयान बन गया जिसे विपक्षी दल के नेताओं ने सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से ट्रेंड कराया। इस भाषण के एक उपकरण स्वयं सांसद लल्लू सिंह भी बन गये और उन्हीं का वीडियो जमकर वायरल हुआ। इसका असर अयोध्या ही नहीं पूरे अयोध्या मंडल और पूर्वांचल तक रहा। 

चुनाव परिणाम के शुरुआती रुझान से ही सांसद लल्लू सिंह पीछे हुए तो आगे बढ़ने की नौबत नहीं आई। पार्टी नेताओं को भरोसा था कि अयोध्या और दरियाबाद विधानसभा में कमी की भरपाई हो जाएगी लेकिन दरियाबाद विधानसभा के अंतिम मतगणना में सपा प्रत्याशी के मुकाबले भाजपा प्रत्याशी करीब दस हजार मतों से पीछे हो गये।

अयोध्या विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी को कुल बढ़त 46 सौ की रही
लोकसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद पांच विधानसभाओं में से समाजवादी पार्टी को चार विधानसभाओं में जबरदस्त बढ़त हासिल हुई। इसके सापेक्ष अयोध्या विधानसभा में भाजपा को बहुत मामूली बढ़त मिली। टेबुलेशन चार्ट के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी लल्लू सिंह को अयोध्या विधानसभा में करीब एक लाख 46 सौ मत प्राप्त हुए जबकि समाजवादी पार्टी प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को एक लाख चार हजार मत मिले। इसके विपरीत समाजवादी पार्टी ने बीकापुर में करीब 22 हजार, मिल्कीपुर में आठ हजार व रुदौली में दस हजार एवं दरिया बाद विधानसभा में भी करीब दस हजार की बढ़त प्राप्त की।

विपक्षी दलों की रणनीति ने बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम साबित किया
विपक्ष के नेताओं ने आरक्षण के मुद्दे को लेकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि एक तरफ जहां भाजपा उस जाल में फंस गई तो दूसरी ओर बसपा भी भाजपा की ‘बी’ टीम की जाल में फंस गई। यही कारण रहा कि बसपा के मूल कैडर का मत बहुत आसानी से समाजवादी पार्टी के खाते बिना किसी अतिरिक्त प्रयास के ही शिफ्ट हो गया। 

बसपा मतों की शिफ्टिंग में एक बड़ा फैक्टर
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का दलित बिरादरी का होना भी रहा। यही कारण है कि बसपा प्रत्याशी सच्चिदानंद पाण्डेय सचिन को पांचों विधानसभा में मिलाकर कुल 45 हजार से अधिक मत मिले। वहीं सीपीआई प्रत्याशी व पूर्व आईपीएस अधिकारी अरविंद सेन भी अपनी पिता की विरासत को गवां बैठे। उन्हें करीब 15 हजार से अधिक मत मिले।

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