हमर छत्तीसगढ़

बघेल बोले- धान खरीदी न हो, इसकी हो रही साजिश: पूर्व CM ने कहा-

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि धान खरीदी न करनी पड़े इसकी साजिश हो रही है। रायपुर में उन्होंने कई दावे करते हुए कहा कि सरकार नहीं चाहती की किसानों से धान खरीदी हो। कुछ ऐसी नीतियां बनाई गई हैं, जिससे टनों-टन धान सड़ेगा। भूपेश बघेल ने कहा कि तीन दिन बाद यानी 14 नवंबर से धान खरीदी शुरू होनी है। लेकिन धान खरीदी करने वाली 2,058 समितियों के लगभग 13000 कर्मचारी चार नवंबर से हड़ताल पर हैं। मिलरों को 120 की जगह 60 रुपए देने के फैसले के बाद विभिन्न जिलों में राइस मिलर एसोसिएशन धान की मीलिंग करने में असमर्थता व्यक्त करने लगे हैं। तो धान मिलिंग के लिए नहीं उठ पाएगा।

14 से खरीदी संभव नहीं क्योंकि…

भूपेश बघेल ने कहा कि इस बार 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य है। इसके लिए 14 नवंबर से 31 जनवरी तक का समय निर्धारित है। शनिवार, रविवार और सरकारी छुट्टियों को घटाकर कुल 47 दिन मिल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि प्रति दिन सरकार को लगभग साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन की खरीदी प्रति दिन करनी होगी, तब जाकर लक्ष्य पूरा होगा।

एक ओर कर्मचारी हड़ताल पर हैं और दूसरी ओर राइस मिलर धान उठाने से इनकार करना शुरू कर चुके हैं। कर्मचारी बता रहे हैं कि हड़ताल की वजह से अब तक धान खरीदी की तैयारियां भी नहीं हुई हैं। न बारदाना उतरा है और न धान खरीदी केंद्रों की साफ सफाई हुई है। न किसानों का पंजीयन हुआ है। बघेल ने आगे कहा कि यदि हड़ताल खत्म भी हो जाती है तो कम से कम सात दिनों की तैयारी लगती है। ऐसे में 14 नवंबर से धान खरीदी होना संभव ही नहीं दिखता।

कर्मचारी ये मांग कर रहे

धान खरीदी का काम करने वाले छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ ने तीन सूत्रीय मांगें रखी हैं-

  • पहला ये कि मध्यप्रदेश सरकार की तर्ज़ पर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा भी प्रत्येक समितियों को तीन-तीन लाख का अनुदान दिया जाए।
  • दूसरा पुनरीक्षित वेतनमान
  • तीसरा ये कि सुखत का प्रावधान करते हुए प्रति क्विंटल 500 ग्राम की क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया जाए, और प्रधानमंत्री फसल बीमा के कमीशन की राशि समितियों को दी जाए।

कांग्रेस के समय के नियम बदले गए, इससे नुकसान होगा

भूपेश बघेल ने बताया कि धान उपार्जन की हमारी सरकार की नीति को भाजपा सरकार ने बदल दिया है। नई नीति के अनुसार 72 घंटे में बफर स्टॉक के उठाव की नीति को बदल दिया है। पहले इस प्रावधान के होने से समितियों के पास ये अधिकार होता था कि वे समय सीमा में उठाव न होने पर चुनौती दे सकें। अब बफर स्टॉक के उठाव की कोई सीमा ही नहीं है।

बघेल ने आगे कहा कि पहले मार्कफ़ेड द्वारा समस्त धान का निपटान 28 फ़रवरी तक कर देने की बाध्यता रखी गई थी। अब इसे बढ़ाकर 31 मार्च कर दिया गया है। यानी समितियों/संग्रहण केंद्रों में धान अब दो महीने तक रखा रहेगा। इसका परिणाम ये होगा कि धान का प्रसंस्करण नहीं हो सकेगा और भाजपा के 15 साल के शासनकाल की तरह ही फिर से धान के सड़ने और खराब होने की खबरें आने लगेंगीं।

Show More

Related Articles

Back to top button