हमर छत्तीसगढ़

बुरे काम का बुरा नतीजा..धोखाधड़ी और ठगी के मामले में फरार शिंदे और आयशा सिद्दीकी से कई लोग त्रस्त थे।

कांग्रेस सरकार में जिनकी तूती बोला करती थी प्रशासन में आज वे भाग रहे हैं और पुलिस से बचने लगातार ठिकाने बदल रहे हैं।दिल्ली के व्यापारी से 15 करोड़ की ठगी के बाद अब जमीन मामले में फंसे आशीष शिंदे उर्फ रवि चोरहा और उसकी सहयोगी आयशा सिद्दीकी नूर बेगम तथा दादून शाह ये सभी कांग्रेस की सरकार में सबसे ताकतवर लोगों में गिने जाने वाले के के श्रीवास्तव के अभिन्न साथी थी।

पुलिस प्रशासन में उस दौर में इनकी तूती बोला करती थी।जब जिसको चाहे जिस मामले में ये कार्यवाही कराने में सक्षम हुआ करते थे।

यही वजह है कि भाजपा से जुड़े आधा दर्जन लोगों को सीधे या अप्रत्यक्ष तौर पर अपने पाले गुंडों से पिटवाया करते थे।

एक घटना शांति नगर निवासी भाजपा नेता मनोज अग्रवाल के साथ घटी थी।

बताते हैं कि भाजपा नेता मनोज अपनी बिटिया का विवाह कर सरगुजा से रायपुर लौट रहे थे उनके साथ परिवार के और भी लोग थे इस दौरान आशीष शिंदे उर्फ रवि चोरहा का जीजा विनय गायकवाड़ रायपुर से शराब के नशे में धुत्त होकर स्कॉर्पियो वाहन से बिलासपुर लौट रहा था इसी बीच नांदघाट के आसपास शराब पिए विनय गायकवाड़ मनोज अग्रवाल की कार से टकराते हुए बचा और फिर मनोज का पीछा करके उन्हें रोकते हुए उल्टे पूरे परिवार को धमकाने लगा।

भाजपा नेता द्वारा विनय की गुंडागर्दी का विरोध करने पर उसने अपने साले शिंदे को फोन कर दिया,देखते ही देखते रवि चोरहा उर्फ शिंदे अपने 2 दर्जन समर्थकों के साथ बिलासपुर हाई वे पर तलवारों और लाठियां से लैस होकर मनोज अग्रवाल को घेर लिया।जैसे तैसे मनोज कार को भगाते हुए रायपुर की तरफ भागे तो पूरे रास्ते तलवारे लहराते गुंडों ने अग्रवाल परिवार पर जानलेवा हमले के प्रयास किया। इस घटना की धरसीवां थाने में रिपोर्ट भी हुई परन्तु तत्कालीन सरकार में इनके प्रभाव के चलते मामला रफा दफा हो गया।

एक मामला पंडरी मंडीगेट क्षेत्र के भाजपा नेता विक्रम प्रधान से जुड़ा है जिन्हें चाकुओं से गोद दिया गया था।

पूरे पांच साल शिंदे के आतंक के खिलाफ जितनी भी शिकायतें हुए अंततः मामला रफा दफा होता गया।शिंदे का वह रुतबा था कि पुलिस के अफसर भी उससे संबंध अच्छा रखा करते थे।बताते हैं कि सूर्यकांत तिवारी से भी शिंदे के व्यापारिक संबंध थे।के के को कोरबा में राखड़ उठाने का काम मिला था।के के एक समय कोरबा के वीर सिंह संधू समूह के लिए काम किया करते थे और सूर्यकांत भी इसी समूह का खास आदमी हुआ करता था।

इसके अलावा शिंदे और सूर्यकांत दोनों एक ही शहर महासमुंद से थे।

इन्हीं संबंधों के चलते कोयले और राखड से जुड़े दो नंबरी पैसों का लेनदेन शिंदे के जिम्मे हुआ करता था।

छत्तीसगढ़ में सरकार पलटी तब भी शुरुआती महीने में इनकी तूती बोलती रही क्योंकि पिछली सरकार में तैनात किए गए अफसर ही यहां भी प्रमुख भूमिका में जमे हुए थे।

लेकिन जबसे सरकार की तिरछी नजर इन पर पड़ी है तब से इनका बुरा हाल है।।

बताते हैं कि भाजपा के पीड़ित लोगों ने इनके खिलाफ सरकार से गुहार लगाई है और कांग्रेस सरकार में इनके कुकर्मों से जुड़े मामलों को रखते हुए इनकी तगड़ी शिकायत की। इसके बाद से ही इनसे जुड़े मामलों पर पुलिस का रिएक्शन शुरू हुआ है और अब हालत यह है कि इन्हें छिपने के लिए ढंग का एक ठिकाना नही मिल रहा है।

कहावत है कि बुरे काम का बुरा नतीजा…ये कहावत रवि चोरहा और आयशा सिद्दीकी व अन्य पर चरितार्थ होते दिख रही है। कभी छत्तीसगढ़ के पुलिस मुख्यालय में बगैर पर्ची भेजे सीधे प्रवेश किया करते थे और आज इन्हें कोई बचाने वाला तक नही है।

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